बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा भले ही अभी बाकी हो, लेकिन दरभंगा जिले की जाले सीट पर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। यह सीट लगातार तीन बार भाजपा के खाते में गई है और मौजूदा विधायक जिबेश कुमार अब तीसरी बार मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। 2020 में उन्होंने कांग्रेस के मशकूर अहमद उस्मानी को करीब 22 हजार वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। उससे पहले 2015 में भी उन्होंने जदयू उम्मीदवार ऋषि मिश्रा को कड़े मुकाबले में मात दी थी। यही नहीं, 2010 में भाजपा के विजय कुमार मिश्र ने इस सीट पर राजद को शिकस्त दी थी। लगातार तीन चुनावों से भाजपा का वर्चस्व इस सीट पर कायम है।
जाले विधानसभा सीट की सामाजिक और जातीय संरचना को देखें तो यहां मुस्लिम, यादव, भूमिहार, ब्राह्मण, रविदास और पासवान वोटरों का खासा प्रभाव है। कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 2.85 लाख है, जिनमें पुरुष और महिला मतदाता लगभग बराबर हैं। 2020 में यहां 1.65 लाख वोट डाले गए थे। इस सीट का हिस्सा मधुबनी लोकसभा क्षेत्र में आता है और इसे पौराणिक अहल्या स्थान के कारण सांस्कृतिक रूप से भी खास माना जाता है। यहां जीत-हार का समीकरण जातीय गणित और स्थानीय मुद्दों पर टिका रहता है।
2020 के विधानसभा चुनाव की स्थिति
क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
1 | जिबेश कुमार | बीजेपी | 87,376 |
2 | मशकूर अहमद उस्मानी | कांग्रेस | 65,580 |
3 | NOTA | NOTA | 3,573 |
2015 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र से जीबेश कुमार ने ही जीत हासिल की थी। उन्होंने जेडीयू के ऋषि मिश्रा को करीब पांच हजार वोटों से हराया था। तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी के मुजीब रहमान रहे।
2015 के विधानसभा चुनाव की स्थिति
क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
1 | जिबेश कुमार | बीजेपी | 62,059 |
2 | ऋषि मिश्रा | जेडीयू | 57,439 |
3 | मुजीब रहमान | समाजवादी पार्टी | 6,759 |
2010 के विधानसभा चुनाव में जाले सीट पर भाजपा के विजय कुमार मिश्रा ने राजद उम्मीदवार रामनिवास प्रसाद को हराकर जीत दर्ज की। यहां ज्यादातर चुनावों में मुकाबला बहुकोणीय रहा है, लेकिन केवल विजेता और उपविजेता का ही उल्लेख किया जा रहा है।
2010 के विधानसभा चुनाव की स्थिति
क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
1 | विजय कुमार मिश्रा | बीजेपी | 42,590 |
2 | राम निवास प्रसाद | आरजेडी | 25,648 |
3 | अहमद अली तमन्ना | सीपीआई | 18,333 |
अक्टूबर 2005 और फरवरी 2005, दोनों ही चुनावों में राजद के रामनिवास प्रसाद ने भाजपा के विजय कुमार मिश्रा को मात दी थी। साल 2000 में विजय कुमार मिश्रा ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की। 1995 में सीपीआई उम्मीदवार अब्दुल सलाम ने कांग्रेस के विजय कुमार मिश्रा को पराजित किया। इससे पहले 1990 के चुनाव में कांग्रेस के विजय कुमार मिश्रा ने अब्दुल सलाम को हराया था। 1985 में कांग्रेस प्रत्याशी लोकेश नाथ झा ने सीपीआई के अब्दुल सलाम को हराया, जबकि 1980 में अब्दुल सलाम ने कांग्रेस के सुशील कुमार झा को परास्त किया।
स्थानीय मुद्दों की बात करें तो जाले क्षेत्र बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और खराब सड़कों जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। तीन नगर पंचायत और एक नगर परिषद होने के बावजूद सुविधाओं की स्थिति कमजोर है। सिंहवाड़ा और जाले प्रखंड की सड़कें बेहतर जरूर हैं, लेकिन अतिक्रमण की वजह से इनकी चौड़ाई लगातार घटती जा रही है। यही कारण है कि इस बार के चुनाव में विकास और बुनियादी सुविधाओं का सवाल राजनीतिक बहस के केंद्र में रहने की पूरी संभावना है।