बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान जेडीयू छोड़कर लोजपा का दामन थामने वाले भगवान सिंह कुशवाहा की जेडीयू में वापसी हो गई है। शनिवार को पटना स्थित जेडीयू कार्यालय में भगवान कुशवाहा ने एक बार फिर पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह भी मौजूद थे। पार्टी में शामिल होते ही उन्हें जेडीयू का उपाध्यक्ष पद सौंप दिया गया। कुशवाहा की वापसी से जेडीयू जहां मजबूत हुई है वहीं लोजपा के लिए इसे झटका माना जा रहा है।
पार्टी में वापसी के मौके पर भगवान कुशवाहा ने कहा कि चुनाव के समय कुछ वैचारिक मतभेदों के चलते वह पार्टी से जरूर अलग हुए थे लेकिन मेरा दिल हमेशा से ही नीतीश कुमार के पास था। वहीं पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि भगवान कुशवाहा की वापसी से पार्टी संगठन मजबूत होगा। हम सब मिलकर साल 2010 की जीत का रिकॉर्ड तोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार को 2025 में मुकाम पर पहुंचाना है।
राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने इस मौके पर सबको उचित सम्मान मिलने की बात भी कही। गौर हो कि ललन सिंह ने पार्टी अध्यक्ष पद संभालते ही सबसे पहले पुराने साथियों को पार्टी में वापस लाने की बात कही थी। उन्होंने ट्वीट करके भी कहा था कि समता पार्टी के गठन काल के बाद किसी कारणवश भूले-बिछड़े व असक्रिय सभी पुराने साथियों से निवेदन है कि वह बिहार और देश के लिए जरूरी मुद्दों के साथ सक्रिय होकर जनता दल (यूनाइटेड) से जुड़ जाएं। उन्होंने विश्वास दिलाया था कि आपका सम्मान होगा।
भगवान सिंह कुशवाहा जेडीयू के साथ 2018 में जुड़े थे। रालोसपा से नाराज होकर उन्होंने जेडीयू का दामन थामा था लेकिन पिछले चुनावों में उनको जब टिकट नहीं मिला तो वह लोजपा में चले गए। भोजपुर जिले की जगदीशपुर विधानसभा सीट से लोजपा के टिकट पर लड़े कुशवाहा दूसरे नंबर पर पहुंचे थे।
बिहार की राजनीति में इन दिनों चहलकदमी का दौर चल रहा है। खासकर लोजपा को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचा है। हाल ही में रामविलास पासवान की पार्टी, बेटे चिराग पासवान और भाई पशुपति पारस के दो खेमों में बंट गई। पशुपति पारस के साथ पांच और सांसदों ने चिराग पासवान से किनारा कर लिया था। अब भगवान कुशवाहा के भी लोजपा छोड़ देने से चिराग को खासा झटका लगा है।