महाराष्ट्र की भिवंडी पूर्व से समाजवादी पार्टी के विधायक और बीएमसी के दो बार के पार्षद रह चुके रईस शेख ने महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट के बीच द इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में बताया कि महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीतिक स्थिति में उनकी पार्टी कहां खड़ी है। उन्होंने इस बातचीत में बताया कि ठाकरे के साथ काम करने का उनका अनुभव कैसा रहा और महाराष्ट्र विकास अघाड़ी का भविष्य क्या हो सकता है।
प्रश्नः सपा महाविकास अघाड़ी गठबंधन का हिस्सा है। क्या आप राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति और इस समय आपकी पार्टी की स्थिति के बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
उत्तरः देश में दो स्पष्ट वैचारिक विभाजन हैं। एक है हिंदुत्व जहां मुख्य विश्वास है देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना और दूसरा पक्ष वो है जो उदार भारत और भारतीय संविधान के विचार में विश्वास रखता है। समाजवादी पार्टी निश्चित रूप से शिवसेना के की तरफ है। महाविकास अघाड़ी सरकार का हिस्सा बनना हमारे लिए एक कठिन यात्रा रही है। तीनों राजनीतिक पार्टियों के बीच वैचारिक तौर पर एक समान नहीं थीं कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का मसौदा तैयार किया गया था। इस मसौदे का उद्देश्य था कि हम सामान्य तौर पर मिलें। लेकिन सरकार बनते ही इन सब बातों को भुला दिया गया और जो विधायक मंत्री नहीं था उसे दरकिनार कर दिया गया। मेर निर्वाचन क्षेत्र में हारने वाले विधायकों को मुख्यमंत्री ने अनुदान राशि दी जिसपर हर कोई नाराज था अगर वो ऐसा कहते हैं कि ये ईडी के डर से ऐसा कर रहे हैं या फिर हिन्दुत्व की वजह से ऐसा कर रहे हैं तो ये पूरी तरह से झूठ है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व को स्वीकार नहीं करने वाले विधायकों में स्पष्ट असंतोष था।
प्रश्नः क्या आपको लगता है कि उद्धव ठाकरे द्वारा पेश किया गया हिंदुत्व का उदारवादी चेहरा शिवसेना के लिए बोझ बन गया?
उत्तरः रईस शेख ने कहा यही समस्या का मूल है एक हिंदुत्व पार्टी से परिवार के भीतर अपने स्वयं के हिंदुत्व को डिजाइन करने के लिए आप इसे किसी भी तरह से एक अलग हिन्दुत्व का दावा कर रहे थे। उद्धवजी यह दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि मेरा हिंदुत्व आपसे अलग है। तब आदित्य एक बड़ा झुकाव पैदा कर रहे थे जहां वह आम आदमी पार्टी की विचारधारा की ओर बढ़ रहे थे। उनका इरादा धर्म-तटस्थ वोट पाने का था जिसके लिए वो कोशिश कर रहे थे। उनके परिवार के भीतर भी ये संघर्ष चल रहा था जो कि शिवसेना को अंदर ही अंदर विभाजिद कर रहा था।
प्रश्नः आप उद्धव और आदित्य ठाकरे के कामकाज का विश्लेषण कैसे करते हैं?
उत्तरः उद्धवजी सोचते थे कि लोग कुछ भी बर्दाश्त करेंगे क्योंकि उनके पीछे ठाकरे का सरनेम था। इसी वजह से उन्होंने दूसरे लोगों को हल्के में लिया। जब मैं राज्यसभा में वोटिंग के दौरान उनसे मिला था तब उनसे कोई गंभीर बातचीत नहीं हुई थी। जब मैंने उनके आसपास के अन्य लोगों से पूछा कि आप लोग उन्हें मुद्दों के बारे में नहीं क्यों नहीं बताते हैं तो उन लोगों ने बताया कि आप ठाकरे को सलाह नहीं दे सकते हैं। आप केवल उनके प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं। आप शरद पवार के साथ बातचीत कर सकते हैं आप अजीत पवार से लड़ सकते हैं लेकिन आप ठाकरे को कुछ नहीं बता सकते। उनके साथ सिर्फ एकतरफा कम्युनिकेशन है। और जब मैंने आदित्य के बारे में सबसे पूछा तो उन्होंने बताया कि आदित्य से अच्छी बातों के बारे में बात कर सकते हो लेकिन किसी समस्या को हल करने के बारे में बात करोगे तो आदित्य असहज हो जाएंगे और फिर वो आपको इग्नोर करना शुरू कर देंगे।
प्रश्नः आप महाविकास अघाड़ी का क्या भविष्य देखते हैं?
उत्तरः धर्मनिरपेक्षता के लिए प्रतिबद्ध कांग्रेस एनसीपी और समाजवादी पार्टी एक साथ रहेंगे। ये मैं नहीं कह रहा हूं कि महाराष्ट्र राज्य ने हिंदुत्व को स्वीकार कर लिया है इसे विधायकों ने स्वीकार किया है। महाराष्ट्र एक प्रगतिशील और समाजवादी राज्य है और यहां धर्मनिरपेक्ष राजनीति के लिए जगह है। जहां तक शिवसेना का सवाल है ऐसा नहीं है कि पूरी शिवसेना शिंदे के साथ गई है। केवल शक्तिशाली लोग ही चले गए हैं और हमें याद रखना चाहिए कि शक्तिशाली लोग बदलते रहते हैं। आज भी शिवसेना को जमीनी स्तर पर बड़ा समर्थन प्राप्त है।
प्रश्नः एमवीए के सहयोगी के रूप में सीएम की पहुंच कैसे नहीं थी और विकास निधि का उचित आवंटन नहीं किया गया था, इस शिकायत के बीच, सीएम आप जैसे छोटे दलों को कितना अपनत्व देते थे? क्या गठबंधन में शामिल होने के बाद से आपकी मांगें पूरी हुईं? मुस्लिम आरक्षण जैसे मुद्दों पर उनका दृष्टिकोण क्या था?
उत्तरः मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जानबूझकर हमें अनदेखा कर रहे थे। उन्होंने हमेशा महसूस किया कि अल्पसंख्यकों पर कोई भी चर्चा या बयान उनके हिंदुत्व वोटों को अलग कर देगा। हालांकि उनकी कार्यशैली में दो अलग-अलग चरण थे। कार्यभार संभालने के तुरंत बाद वह बहुत छोटे दलों के प्रति अपना अपनत्व जाहिर करने लगे थे। सीएए-एनआरसी लाए जाने के बाद इस पर हमारी बहस हुई जिसमें उन्होंने हमे इस बात की दिलासा दी थी कि कुछ भी गलत नहीं होगा और हमें इस बात को लेकर संतोष था कि हमारे पास एक ऐसा मुख्यमंत्री था जो हमारी बात सुनने को तैयार था। हालांकि कोविड के दौरान हमारा ये विश्वास भी टूट गया था।
प्रश्नः आपने एमएमआरडीए और बीएमसी के कामकाज को बहुत करीब से देखा है। क्या आपने कभी महसूस किया कि एकनाथ शिंदे को लगातार दरकिनार किया जा रहा है और यदि हां, तो किन तरीकों से?
उत्तरः हां ये बिलकुल सही है ऐसा बार-बार हो रहा था। अगर एकनाथ शिंदे शहरी विकास मंत्री हैं और एमएमआरडीए उनके अधीन काम कर रहा है तो आदित्य को इसकी बैठकों की अध्यक्षता क्यों करनी चाहिए? वह एक राजकुमार की तरह व्यवहार कर रहा था जो निर्देश दे रहा था, इसको इतना फंड देना है, उसको उतना। या तो आपके पिता आपको पार्टी प्रमुख बनाएं या आप अपने अवसर की प्रतीक्षा करें।
प्रश्नः सपा की महाराष्ट्र इकाई को कई लोग मुस्लिम पार्टी के रूप में पहचानते हैं। यह धारणा है कि कई तथाकथित मुस्लिम पार्टियां अंततः धर्मनिरपेक्ष वोटों को विभाजित करके बीजेपी की बी टीम होने के नाते जानबूझकर या अनजाने में समाप्त हो जाती हैं। आप इस पर कैसी प्रतिक्रिया देंगे?
उत्तरः मैंने समझौता किया और एमवीए का हिस्सा बन गया और केवल तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था। इनमें से एक सीट पर हमारा एक मौजूदा विधायक था बाकी दो में हम दूसरे नंबर की पार्टी थे। मैंने व्यापक धर्मनिरपेक्ष हित के लिए अपनी पार्टी में कटौती की है। मैंने यह नहीं कहा कि मैं कई सीटों पर लड़ना चाहता हूं जैसे एआईएमआईएम ने पिछली बार महाराष्ट्र में किया था। दूसरा बिंदु मेरा ट्रैक रिकॉर्ड है, मैं लगातार सीटें जीतता हूं। मैं एआईएमआईएम की तरह नहीं हूं जो एक बार भायखला में और अगली बार धुले से जीतती है। AIMIM और हम में बहुत बड़ा अंतर है। पिछले 25 सालों से हम लगातार स्थिर राजनीति कर रहे हैं। हमारे जनप्रतिनिधि लगातार जीते हैं। हमने बड़े हित के लिए समझौता किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कांग्रेस या एनसीपी हमारी वजह से नहीं हारे।
प्रश्नः आप जानते हैं कि बीएमसी कैसे काम करती है और ठेकेदार लॉबी कैसे काम करती है? तो क्या आप मुंबई की सड़कों के लिए कोई उम्मीद करते हैं कि मुंबई की सड़कों में गड्ढों से निजात कैसे मिले और हर साल यहां आने वाली बाढ़ पर क्या काम कर रहे हैं?
उत्तरः बीएमसी 125 साल पुराना संगठन है और हम अभी भी अधिकांश काम करने के लिए कुछ मुट्ठी भर ठेकेदारों पर निर्भर हैं। आदित्य ठाकरे जो एक मंत्री हैं हस्तक्षेप कर इसे बदल सकते थे। मुझे याद है कि बचपन में बीएमसी के अपने कर्मचारियों का इस्तेमाल सड़क निर्माण और सरफेसिंग के काम में किया जाता था। यह काम सस्ता और टिकाऊ था। शिवसेना ने ठेके पर देकर इस प्रक्रिया को जटिल बना दिया है। हमारे शहर में सड़क ठेके की दर 14,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर है जबकि वही काम कभी हमारे द्वारा 2,800 रुपये में किया जाता था। शिवसेना ने शहर में एक क्रूर वित्तीय मॉडल बनाया है। हमें ठेकेदारों से ध्यान हटाना होगा। हमारे पास 1.25 लाख लोगों का बल है जो बीएमसी के लिए काम कर रहा है जिसका प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने की जरूरत है।
प्रश्नः क्या आप बेहतर प्रशासन के लिए बीएमसी के बंटवारे के पक्ष में हैं?
उत्तरः बीएमसी के पास विकेंद्रीकरण का एक सुंदर तरीका है हमारे पास पहले से ही प्रशासनिक वार्ड हैं, हमारे पास विभाग हैं, अतिरिक्त नगरपालिका आयुक्त हैं। मैं बीएमसी को तोड़ने के पक्ष में नहीं हूं। मैं कहूंगा कि प्रशासनिक वार्डों को पुनर्गठित करने की जरूरत है। इसे और कारगर बनाने की जरूरत है।