Banka Assembly Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना शुरू हो गई है। दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित बांका जिले पर मुस्लिम-यादव समीकरण से इस बार का नतीजा तय होगा। बांका जिला फरवरी 1991 में भागलपुर से अलग होकर अस्तित्व में आया था। यह झारखंड की सीमा से सटा इलाका भौगोलिक रूप से भी उससे मेल खाता है—दक्षिण में पहाड़ी और ऊबड़-खाबड़ भूभाग, जबकि उत्तर में उपजाऊ समतल ज़मीन फैली हुई है। झारखंड की पहाड़ियों से निकलने वाली चानन नदी इस ज़िले से होकर गुजरती है और आगे गंगा में मिल जाती है। बांका के पास के प्रमुख नगरों में भागलपुर, जमुई, मुंगेर और झारखंड का गोड्डा शामिल हैं, जबकि राजधानी पटना यहां से लगभग 250 किलोमीटर दूर है।
पारंपरिक रूप से बांका एक व्यापारिक केंद्र रहा है और बिहार के दस सबसे बड़े शहरों में गिना जाता है। हालांकि, कृषि अब भी इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। झारखंड के खनिज संपन्न क्षेत्रों के नज़दीक होने के बावजूद यहां भारी उद्योगों का विकास नहीं हो पाया है। विकास की दृष्टि से इसे भारत के 250 सबसे पिछड़े जिलों में रखा गया है और यह Backward Regions Grant Fund Programme के अंतर्गत केंद्र से सहायता प्राप्त करता है। कभी यह क्षेत्र ‘रेड कॉरिडोर’ का हिस्सा था, लेकिन 2024 में केंद्र सरकार ने इसे नक्सल-मुक्त घोषित किया। इसी साल शीर्ष नक्सली कमांडर रमेश टुड्डू एक मुठभेड़ में मारा गया, जिसके बाद यहां स्थिरता लौट आई।
बांका विधानसभा चुनाव परिणाम 2025
| पार्टी | उम्मीदवार | वोट |
| आरएलजेपी | कुंदन कुमार रॉय | |
| बीजेपी | राम नारायण मंडल | |
| जन सुराज | कौशल कुमार सिंह |
विधानसभा चुनाव 2020 का हाल
| क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
| 1 | राम नारायण मंडल | भारतीय जनता पार्टी | 69762 |
| 2 | जावेद इकबाल अंसारी | राष्ट्रीय जनता दल (RJD) | 52934 |
| 3 | कौशल कुमार सिंह | राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) | 10996 |
धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बांका की पहचान मंदार पर्वत से जुड़ी है, जिसे पौराणिक ‘समुद्र मंथन’ का स्थल माना जाता है। यह स्थान आज भी आस्था और पर्यटन दोनों का केंद्र है। राजनीतिक रूप से बांका विधानसभा क्षेत्र 1951 में स्थापित हुआ था और यह बांका लोकसभा सीट के छह खंडों में से एक है। 2024 तक यहां मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2.70 लाख से अधिक हो चुकी है। यादव समुदाय लगभग 22% हिस्सेदारी के साथ इस क्षेत्र का सबसे प्रभावशाली वर्ग है, जबकि मुस्लिम, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
विधानसभा चुनाव 2015 का हाल
| क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
| 1 | राम नारायण मंडल | भारतीय जनता पार्टी | 52379 |
| 2 | जफरुल होदा | राष्ट्रीय जनता दल (RJD) | 48649 |
| 3 | अजीत कुमार सिंह | बहुजन समाज पार्टी (BSP) | 16548 |
राजनीतिक इतिहास की बात करें तो अब तक 20 बार यहां चुनाव हो चुके हैं। भाजपा (जनसंघ सहित) ने आठ बार, कांग्रेस ने सात, राजद ने दो, जबकि स्वतंत्र और जनता पार्टी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। मौजूदा विधायक रामनारायण मंडल (भाजपा) छह बार इस सीट से विजयी रहे हैं और उन्होंने 2020 में 16,828 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। वहीं, बांका लोकसभा सीट पर जदयू के गिरधारी यादव लगातार तीन बार जीत दर्ज कर चुके हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फिर मंडल पर भरोसा जताया है, जबकि सीपीआई के संजय कुमार और आम आदमी पार्टी के रजनीश कुमार चौधरी मैदान में हैं। इस बार भी मुकाबले का केंद्र यादव-मुस्लिम समीकरण और एनडीए की संगठनात्मक मजबूती पर टिकेगा।
