आजमगढ़ की पहचान चार नदियों से जुड़ी है। तमसा नदी के तट पर बसा आजमगढ़ अयोध्या की सरयू, काशी की गंगा और घाघरा नदी के किनारे है। आजमगढ़ मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव का गढ़ माना जाता है। 2022 के विधानसभा चुनाव मेंं योगी आदित्यनाथ की लहर थी, लेकिन आजमगढ़ मेंं सभी दस विधायक सपा के हैं। अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली सीट पर 23 जून को मतदान होना है। 2024 के पहले आजमगढ़ और रामपुर का उप-चुनाव सभी दलों के सम्मान से जुड़ा है।

भाजपा और बसपा पुरानी सीट पर वापसी के लिए जुटी है। जबकि सपा मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की पुरानी सीट बचाने के लिए दिन-रात बराबर कर दी हैं। सपा से धर्मेंद्र यादव भाजपा से दिनेश लाल यादव निरहुआ और बसपा से गुड्डू जमाली चुनावी अखाड़े में हैं। उप-चुनाव में धर्मेंद्र यादव नए है। लेकिन दिनेश लाल यादव निरहुआ और गुड्डू जमाली पुराने चेहरे है।

2019 के चुनाव में दिनेश लाल यादव निरहुआ को 3.61.704 वोट और 2014 के चुनाव में गुड्डू जमाली को 2.66.528 वोट पाकर चुनाव हार चुके हैं, लेकिन इस चुनाव में भाजपा सपा और बसपा तीनों मजबूती से जुटे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव 3.40.306 वोट पाकर सदन गए थे। जबकि 2019 के चुनाव में अखिलेश यादव 6.21.578 वोट से सांसद चुने गए थे। इस बार निरहुआ की जीत के लिए भाजपा ईमानदारी से जुटी है।

निरहुआ के चुनावी प्रचार में जुटे अमरेंद्र सिंह पिंटू ने कहा कि भाजपा की जीत मोदी और योगी के नाम पर होगी। अमेठी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। लेकिन 2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी कांग्रेस का गढ़ तोड़कर सांसद बन चुकी है। इस बार मुलायम और अखिलेश के गढ़ को तोड़ने के लिए निरहुआ मैदान में हैं।

पिंटू ने कहा कि आजमगढ़ में जनता पार्टी के 1977 में रामनरेश यादव,1980 में चंद्रजीत यादव और 2009 में भाजपा के रमाकांत यादव सांसद बन चुके हैं। बाकी सपा के गढ़ में चौंका मारने के लिए निरहुआ मैदान में हैं।

आजमगढ़ के 19 चुनाव में कांग्रेस 7, भाजपा 3, सपा 4, बसपा 4 और एक बार जनता दल के सांसद बन चुके हैं।19 चुनाव में चंद्रजीत यादव और रमाकांत यादव दल-बदल कर चार चार बार सांसद बने थे। इसमें दोनों सांसद भाजपा से भी एक एक बार जीते थे। दो यदुवंशियों के बीच गुड्डू जमाली के आने से त्रिकोणीय मुकाबले के आसार नजर आ रहे हैं। लेकिन जीत हार का आकलन करना मुश्किल है। आजमगढ़ की सड़कों का बुरा हाल है। जिससे भाजपा टूटी-फूटी सड़कों को चुनावी मुद्दों में जोड़ रखा है।