असम में पुलिस ने 13 साल की एक लड़की की कथित आत्महत्या के मामले में लापरवाही के लिए दारांग जिले में एक मजिस्ट्रेट को गिरफ्तार किया है। बाद में जांच से पता चला कि यह बलात्कार और हत्या का मामला था। लड़की 11 जून को दारांग जिले में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के एक जवान के आवास पर लटकी हुई मिली थी। वह वहां एक घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थी।

मामले में कई पुलिस अधिकारियों और डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद कार्रवाई हुई है, जिसमें एसएसबी कर्मी के साथ-साथ उनकी पत्नी भी आरोपी हैं। मामला पहले आकस्मिक मौत के रूप में दर्शाया गया था लेकिन बाद में इसे आत्महत्या का रूप दे दिया गया। अगस्त में राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा लड़की के परिवार के सदस्यों से मिलने के बाद पुलिस ने फिर से जांच शुरू की थी, जिन्होंने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया था।

शुक्रवार को मजिस्ट्रेट की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “मजिस्ट्रेट को आज गिरफ्तार किया गया। सीआईडी ​​ने पहले ही एसपी, अतिरिक्त एसपी (दारांग), थाना प्रभारी और तीन डॉक्टरों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है, जिन्होंने मृतक लड़की का पहला पोस्टमार्टम किया था।

शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए स्थानीय मजिस्ट्रेट आशीर्वाद हजारिका कई दिनों से फरार चल रहे थे। दारंग एसपी राज मोहन रे, जिन्हें इस मुद्दे पर पहले निलंबित कर दिया गया था, उन्हें गुरुवार को मामले को कमजोर करने के लिए 2 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। एक स्थानीय पुलिस अधिकारी, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने उसे पैसे दिए थे, उसको पहले 31 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस ने बताया कि ताजा जांच में आरोपी व्यक्तियों की छेड़छाड़, हत्या, सबूतों को दबाने और बलात्कार में शामिल होने की पुष्टि हुई है। पुलिस ने कहा कि पीड़िता की मौत फांसी से नहीं हुई, जैसा कि शुरू में सोचा गया था। पुलिस ने बताया कि आरोपी ने लड़की के सिर और गर्दन पर वार किया और रस्सी से उसका गला घोंट दिया, क्योंकि उसने एसएसबी कर्मी द्वारा अपनी पत्नी को कथित यौन उत्पीड़न के बारे में बताने की धमकी दी थी।