असम में बाल विवाह के खिलाफ लगातार एक्शन हो रहा है। ताजा आंकड़ों की बात करें तो 9 फरवरी 2023 तक बाल विवाह के मामले में गिरफ्तारी की संख्या 2,789 हो चुकी है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने ये जानकारी बीते दिनों दी थी। इन मामलों में ज्यादातर आरोपी घर के मुखिया या अकेले कमाने वाले हैं। इन सबके बीच प्रेग्नेंट टीनएजर्स खौफ में अस्पताल जाने से बच रहीं हैं और अबॉर्शन के बारे में जानकारी जुटा रही हैं।
अबॉर्शन के बारे में जानकारी जुटा रही प्रेग्नेंट टीनएजर्स
जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें से सबसे अधिक संख्या होजई (216) से है। इन सबके बीच युवा या गर्भवती महिलाओं को भी प्रेग्नेंसी से जुड़ी सहायता लेने में डर लग रहा है।उनके पति भी रफ्तार होने के डर से फरार हो रहे हैं। छोटे डोबोका कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में वरिष्ठ चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ. अबू शरीफ अकांडा ने कहा, “पिछले हफ्ते हर दिन मेरे पास एक या दो गर्भवती किशोरियों गर्भपात कराने या इसके बारे में जानकारी लेने आई थीं। इन सभी मामलों में वे कह रही हैं कि उन्हें डर है कि अगर बच्चा पैदा हुआ तो यह उनके खिलाफ किसी तरह के सबूत के रूप में काम करेगा।”
खौफ में अस्पताल जाने से बच रहीं प्रेग्नेंट टीनएजर्स
डॉक्टर ने कहा, “मैं उनकी काउंसलिंग कर रहा हूं, उन्हें बता रहा हूं कि उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है। मुझे उम्मीद है कि एक बार घर वापस जाने के बाद वे इसकी जगह असुरक्षित गर्भपात के तरीके नहीं अपनाएंगी।” वहीं, एक अन्य जिले में बारपेटा सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नजीरुल इस्लाम ने ध्यान दिया कि अस्पताल में प्रसव पूर्व सेवाओं के लिए आने वाली महिलाओं की संख्या में कमी आई है।
उन्होंने कहा, “पुलिस का डर है कि अगर वे अस्पताल आयीं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा, हम उन्हें रिपोर्ट कर देंगे। हमारे प्रसव पूर्व सेट अप में प्रतिदिन लगभग 50 महिलाओं की एक लंबी कतार होती थी। अब यह घटकर 15-20 रह गयी है।”
मेडिकल सिस्टम में भरोसे की कमी और गर्भावस्था से संबंधित जानकारी के माध्यम से उनके परिवारों को ट्रैक किए जाने का डर लड़कियों और महिलाओं में गहराई तक समा गया है। असम के होजई के गांवों में आशा कार्यकर्ताओं को पुलिस कार्रवाई शुरू होने के बाद से संदेह की नजर से देखा जाता है।