देशभर में कोरोनावायरस के बढ़ते केसों के बीच लगभग सभी राज्यों में ऑक्सीजन के साथ जीवनरक्षक दवाओं की कमी पैदा होने लगी है। जहां सरकार लगातार रेमडेसिविर जैसी अहम दवाओं की कालाबाजारी रोकने की कोशिश में है, वहीं इसकी सप्लाई की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने वाले नेता सवालों से भागते नजर आ रहे हैं। कुछ ऐसा ही नजारा मध्य प्रदेश के इंदौर में दिखा। यहां भाजपा के मंत्री और नगर अध्यक्ष से जब रेमडेसिविर की कमी पर सवाल किया गया, तो दोनों सीट से उठकर बिना जवाब दिए ही चल दिए।
दरअसल, इंदौर में शनिवार को कोरोना के मुद्दे पर भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक थी। इसमें चर्चा के बाद मंत्री तुलसी सिलावट और इंदौर जिला अध्यक्ष गौरव रणदिवे मीडिया के साथ बातचीत करने पहुंचे। हालांकि, जैसे ही पत्रकारों ने उसने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी के बारे में सवाल पूछा तो दोनों ने सिर्फ इतना कहा कि पूरे देश में इसकी किल्लत है। डिमांड के मुकाबले आपूर्ति काफी कम हो रही है।
इसके बाद दोनों ने नेताओं ने मीडिया से सहयोग करने की अपील की और कहा कि हालात बेकाबू हैं। प्रशासन हर स्तर पर कोशिश में जुटा है। इसके बाद उन्होंने साफ कह दिया कि वे इस पर ज्यादा बात नहीं कर पाएंगे और अपनी सीटों से उठकर चल दिए।
बता दें कि मध्य प्रदेश को चार दिन पहले ही 15 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन की 15 हजार डोज मिली थीं। इन्हें बेंगलुरु से विमान के जरिए भिजवाया गया था। यह महामारी के विकराल रूप दिखाने के बाद इंजेक्शन का तीसरा कंसाइनमेंट था। इससे पहले भी हजारों रेमडेसिविर के बॉक्स इंदौर में उतारे जा चुके हैं। इसके बावजूद राज्य में इंजेक्शन की कमी का मुद्दा अभी तक सुलझ नहीं पाया है।
रेमडेसिविर के लिए मारामारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दो हफ्ते में 60 हजार से ज्यादा इंजेक्शन आने के बाद मरीजों के परिजन अभी भी इंजेक्शन के लिए भटकने को मजबूर हैं। पिछले कुछ दिनों में एमपी में रेमडेसिविर के चोरी होने के कुछ मामले भी सामने आए हैं। इस भारी कमी के बीच कई जगहों पर तो अधिकारियों ने फोन तक उठाना बंद कर दिया है।

