मोदी सरकार के दौरान दक्षिणपंथी समूहों के खिलाफ आतंक से जुड़े मामलों पर नरम रवैया अपनाने के कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि इन मामलों को अदालतों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। अगर कुछ भी गलत होगा तब उस पर न्यायपालिका अपने विचार व्यक्त करेगी। कांग्रेस पर पलटवार करते हुए जेटली ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान उसने जांच एजंसियों का इस्तेमाल ‘फर्जी’ आरोपपत्र तैयार करने के लिए किया। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामलों में अदालत ने बिना सुनवाई के ही आरोपियों को मुक्त कर दिया।

भारतीय वुमन प्रेस कोर में वित्तमंत्री ने इन आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया कि भाजपा शासित राज्यों में विपक्षी पार्टी से जुड़े महानुभावों को पाठ्यपुस्तक संशोधन के दौरान हटाया जा रहा है। जेटली ने कहा कि ऐसे आरोप नए नहीं है, जब भी भाजपा सत्ता में आती है, ऐसे आरोप लगाए जाते हैं। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आरोप हटाए जाने को लेकर कांग्रेस के आरोपों के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘ये कानूनी मसले हैं, जो उपलब्ध साक्ष्य की गुणवत्ता पर आधारित हैं।’

वित्तमंत्री ने कहा, ‘ये मामले अंतत: अदालत के अधीन हैं, जो इस बारे में निर्णय करती है। आरोपपत्र अदालत में जाएगा। अगर इसमें कुछ भी गलत होगा, तब मुझे विश्वास है कि अदालत अपने विचार व्यक्त करेगी।’ उन्होंने हालांकि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर निशाना साधते और मीडिया पर चुटकी लेते हुए कहा कि यह अति उदारता थी जब तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के दौरान कुछ आरोपपत्र जांच एजंसियों द्वारा पेश किए गए थे और जिस तरह से कुछ मामलों में जांच एजंसियों का इस्तेमाल किया गया। इससे कुछ एजंसियों की विश्वसनीयता गिरी, मेरे विचार से ये रिकार्ड गिरावट थी।

जेटली ने कहा कि जब वह विपक्ष के नेता थे तब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर उन मामलों का जिक्र किया था जिसमें आरोपपत्रों को गलत ढंग से गढ़ा गया। उन्होंने कहा कि जिन जिन मामलों का मैंने जिक्र किया, उनमें अदालत ने आरोप तय भी नहीं किया। अदालत ने बिना सुनवाई किए ही आरोपियों को बरी किया। और यह तब हुआ जब यूपीए सरकार थी, राजग सरकार नहीं। वित्तमंत्री ने हालांकि किसी मामले का जिक्र नहीं किया हालांकि उन्होंने तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा अमित शाह के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किए जाने की आलोचना की।