UP Politics: उत्तर प्रदेश भाजपा में क्या सब कुछ ठीक है? इस सवाल का अर्थ पिछले कुछ दिनों से एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है। भाजपा के नेता खुद इस सहमति देते हुए नजर आते हैं कि उत्तर प्रदेश भाजपा दोहराए पर खड़ी है। एक गुट सीएम योगी का है तो दूसरा इसके इतर केशव प्रसाद मौर्य, पाठक और भूपेंद्र चौधरी का। सवाल यह है कि आखिर इन तीनों प्रमुख नेताओं की योगी आदित्यनाथ से पटरी क्यों नहीं खा रही है। इसमें कुर्सी लड़ाई या फिर हाई कमान ही कुछ करना चाहता है। क्योंकि अभी हाल ही में देखा गया कि विधानसभा से पास होने के बाद नजूल विधेयक को विधान परिषद में रोक दिया गया।
हालांकि, आज शाम 6 बजे उत्तर प्रदेश बीजेपी कोर कमेटी की बैठक होनी है। यह बैठक सीएम आवास पर होगी। इससे पहले सुपर 30 की भी बैठक बुलाई गई है। उपचुनाव के लिए बने सुपर 30 वाले मंत्रियों के समूह की दो बैठक हो चुकी हैं, जिसमें न तो किसी डिप्टी सीएम को बुलाया गया, न ही संगठन से प्रदेश अध्यक्ष या फिर संगठन मंत्री को, लेकिन पहली बार मंत्रियों की मीटिंग में सभी बड़े नेता शामिल होंगे। इसे योगी आदित्यनाथ की तरफ से ऑल इज वेल का मैसेज देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन क्या वास्तव में यूपी भाजपा में सब कुछ सही चल रहा है?
उपचुनाव के लिए योगी आदित्यनाथ ने तीस मंत्रियों की एक कमेटी बनाई है। प्रदेश में दस सीटों पर उपचुनाव होने हैं। एक विधानसभा सीट के लिए तीन मंत्रियों की टीम बनाई गई है। इन्हें अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र का दौरा करने के लिए कहा गया था। यह सभी मंत्री अपनी रिपोर्ट देंगे।
वहीं, यूपी भाजपा कोर कमेटी की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक शामिल होंगे। साथ ही साथ यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह भी मौजूद रहेंगे। योगी बनाम केशव प्रसाद मौर्य के झगड़े के बीच यह बैठक हो रही है। इस मीटिंग में खाली पड़े तमाम बोर्ड और निगमों के पदों पर भर्ती को लेकर नाम तय किए जा सकते हैं। सबसे अधिक मारामारी महिला आयोग, पिछड़ा आयोग और SC-ST आयोग को लेकर है।
संगठन के लेवल पर एक बार बैठक हो चुकी है। भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने सभी क्षेत्रीय अध्यक्षों से लिस्ट मंगा ली है। कोर कमेटी की बैठक में चर्चा के बाद नाम फाइनल कर लिए जाएंगे। लोकसभा चुनाव में खराब नतीजों के बाद समीक्षा के दौरान ये बात सामने आई थी कि नेताओं और कार्यकर्ताओं को सरकार में एडजस्ट नहीं किया गया है। इसलिए अब जल्द से जल्द निगम और आयोगों में खाली पद भरने की तैयारी है। इसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष से लेकर सदस्यों के नाम तय किए जाने की बात है। इस तरह कम से कम 200 भाजपा नेताओं को निगम और आयोग में जगह मिल जाएगी।