Khaike Paan Banaras Wala: डॉन फिल्म को वो गाना कितना फेमस हो गया था, जिसमें गाने के बोल और सुपरस्टार अमिताम बच्चन के डांस ने लोगों को भरपूर मनोरंजन किया था। इतना ही नहीं, फिल्म के आने के बाद हर किसी की जुबां पर एक ही गाना होता था, ‘खइके पान बनारस वाला…’ अब जो बात हम बताने जा रहे हैं, वो यह है कि इस गाने के बोल में जिस बनारसी पान का जिक्र किया गया है। उसे जीआई (Geographical Index Tag) टैग से नवाजा गया है। बनारस का यह पान अपने रसीलेपन और मिठास के लिए फेमस है। बनारसी पान के साथ बनारसी लंगड़ा आम, रामनगर भंटा (बैंगन) और चंदौली का आदमचीनी चावल को भी GI टैग मिला है। जीआई टैग हासिल करने वाले सभी चारों उत्पाद किसानों से जुड़े हुए हैं।
जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने बताया, ‘चारों उत्पाद कृषि और उद्यान से संबंधित हैं। लंगड़ा आम की काशी में अपनी एक अलग पहचान है। लंगड़ा आम इस बार अपनी खास पहचान GI टैग के साथ बाजार में आएगा।’ इसके अलावा यूपी के 7 अन्य ओडीओपी (ODOP) प्रोडक्ट्स ने भी जीआई टैग हासिल किया है। इनमें अलीगढ़ का ताला, हाथरस का हींग, नगीना का वुड कटिंग, मुजफ्फरनगर का गुड़, बखीरा ब्रासवेयर, बांदा का शजर पत्थर क्राफ्ट, प्रतापगढ़ के आंवले को भी GI टैग मिला है।
रजनीकांत ने आगे बताया कि बनारस और पूर्वांचल के GI उत्पादों के कारोबार में 20 लाख से ज़्यादा लोग शामिल हैं। लगभग 25,500 करोड़ का सालाना कारोबार इन उत्पादों का होता है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (Nabard) के सहयोग से कोविड के समय में भी यूपी के 20 उत्पादों का GI के लिए आवेदन किया गया था। इसमें 11 जीआई टैग प्राप्त हो गए हैं। इसके अलावा बनारसी ठंडई, बनारस का लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, बनारस का लाल भरवां लाल मिर्च और चिरईगांव के करौंदे का भी जीआई टैग के लिए आवेदन किया गया है।
क्या होता है जीआई (GI) टैग?
जीआई (GI)यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। भारतीय संसद में साल 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स’ लागू किया गया था। इसके तहत भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है। आसान भाषा में कहें तो किसी भी क्षेत्र का क्षेत्रीय उत्पाद वहां की पहचान होता है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है, जिसे जीआई टैग यानी जीयोग्राफिकल इंडिकेटर कहते हैं।