राजस्थान के पूर्व मंत्री व सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि अग्निपथ योजना का विरोध-प्रदर्शन करने वाले युवक जब अग्निवीर नहीं बन सकेंगे। तो अनुशासन तोड़ने वाले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से केस वापस क्यों लिया गया।

भरत सिंह ने पत्र में लिखा है कि बीजेपी के विधायकों पर कोटा में नेशनल हाइवे पर जाम लगाने के कारण जो मामल दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि जब इस तरह के मामलों को सरकार वापस लेकर विधायकों को राहत प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि तो आम आदमी पर प्रदेश में सभी दर्ज मामले वापस लिए जाएं।

पत्र में आगे लिखा गया है कि किसी प्रकार की धारा में युवा पर मामला दर्ज है तो उस अग्निपथ आवेदक को सेना में भर्ती नियमानुसार नहीं किया जा सकता है। साथ ही सवाल उठाया गया कि जब अनुशासन तोड़ने वाले व्यक्ति को सेना में भर्ती नहीं किया जा सकता है तो अनुशासन तोड़ने वाले विधायक को लोकसभा अध्यक्ष क्यों बनाया गया है।

जानिए क्या है पूरा मामला-
मामला 10 साल पहले का बताया जा रहा है। जिसमें अक्टूबर 2012 में कोटा के झालावाड़ सड़क की हालत खराब थी। जिस पर भाजपा नेताओं की तरफ से तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया गया था। इस विरोध-प्रदर्शन में नेशनल हाइवे तक जाम किया गया। इसमें तत्कालीन विधायक ओम बिड़ला, भवानी सिंह रजावत, चंद्रकांता मेघवाल और पूर्व विधायक अनिल जैन समेत कई बीजेपी नेता और कार्यकर्ता शामिल थे।

नेशनल हाइवे जाम करने के मामले में पुलिस ने बीजेपी नेताओं के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया था। जानकारी के मुताबिक राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में गहलोत सरकार सियासी सदभाव बनाए रखना चाहती है। जिसके तहत वो किसी भी विधायक से व्यक्तिगत नाराजगी नहीं रखना चाहते हैं।

इससे पहले भी भरत सिंह सरकार व पार्टी के फैसलों पर कई बार सवाल उठा चुके हैं। हाल ही में राज्यसभा चुनाव के बाहरी प्रत्याशी घोषित करने पर उन्होंने पत्र के जरिए अपनी दर्द जाहिर किया था। उन्होंने सीएम गहलोत को लिखे पत्र में लिखा था कि ये वरिष्ठ नेता राज्यसभा के माध्यम से ही जिंदा रहना चाहते हैं। ये नेता चुनाव जीतने के बाद ‘लाट’ साहब बन जाते हैं।