जेएनयू प्रशासन ने बीते नौ फरवरी को विश्वविद्यालय परिसर में अफजल गुरू की फांसी के विरोध में आयोजित एक विवादित कार्यक्रम के सिलसिले में निलंबित किए गए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित आठ छात्रों का शैक्षणिक निलंबन शुक्रवार को वापस ले लिया। मामले की जांच के लिए गठित विश्वविद्यालय की एक उच्च-स्तरीय समिति की ओर से जेएनयू के अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद निलंबन वापस लेने का फैसला किया गया।

बहरहाल, विश्वविद्यालय प्रशासन ने साफ किया है कि निलंबन करने का मतलब यह नहीं है कि उसने छात्रों को ‘क्लीन चिट’ दे दी है। प्रशासन ने कहा कि कुलपति एम जगदीश कुमार की ओर से रिपोर्ट के परीक्षण के बाद ही इस बाबत अंतिम फैसला किया जाएगा। संसद पर हमले के दोषी अफजल की फांसी के विरोध में नौ फरवरी को आयोजित विवादित कार्यक्रम के एक दिन बाद यानी 10 फरवरी को विश्वविद्यालय प्रशासन ने उच्च-स्तरीय समिति गठित कर उसे मामले की जांच करने के लिए कहा था।

विश्वविद्यालय ने 12 फरवरी को आठ छात्रों को निलंबित कर दिया था। समिति की शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय ने आठ छात्रों को शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोक दिया था जबकि उन्हें जांच पूरी होने तक छात्रावास में अतिथि के तौर पर रहने की इजाजत दे दी थी। विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों के बताया कि चूंकि जांच पूरी हो चुकी है, लिहाजा उनका निलंबन वापस ले लिया गया है।

निलंबित छात्र अब अपनी कक्षा में जा सकते हैं और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं। कन्हैया के अलावा जिन छात्रों को निलंबित किया गया था उनके नाम उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, आशुतोष, रमा नागा, अनंत कुमार, श्वेता राज और ऐश्वर्य अधिकारी हैं। कन्हैया को देशद्रोह के मामले में जहां अंतरिम जमानत मिल चुकी है, वहीं उमर और अनिर्बान अब भी न्यायिक हिरासत में हैं।