सुभाष मेहरा

हिमाचल में अंदरूनी भाजपाई खटपट के बीच अगले साल विधानसभा के चुनावी रणनीतिक अभियानों के लिए धार देने में जुटे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए पार्टी के पूर्व अध्यक्ष सतपाल सत्ती की नेतृत्व को लेकर घोषणा कहीं उलटी न पड़ जाए। भाजपा सरकार में वित्त आयोग के अध्यक्ष के नाते कुछ रोज पहले सत्ती ने आलाकमान की हैसियत से खुलेआम हुक्मनामा जारी कर विधानसभा के चुनाव में जिस तरीके से पार्टी की अगुआई करने में जयराम ठाकुर के नाम का जयघोष किया, उसके बाद सत्ती वाणी को लेकर पार्टी में अंदरखाने एक दफा फि र से आक्रोश पनपा है।

दबी जुबान में कहा जा रहा है कि चुनावी जंग के लिए मुख्यमंत्री को पार्टी चेहरा बताए जाने की मंशा सिर्फ धूमल परिवार में जहर भरने की है ताकि पसीना बहा रहे जयराम दो-दहाई के नीचे सिमट जाएं। गौरतलब है कि इससे चंद महीने पहले पार्टी प्रवक्ता रणधीर शर्मा की ओर से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को चुनावी चेहरा बताए जाने के बाद धर्मशाला में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष के दौरे के दौरान पार्टी के एक तबके ने रणधीर की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए थे।

रणधीर की ओर से सफ ाई पेश किए जाने के बाद अभी मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि प्रेम कुमार धूमल की पराजय के बाद मुख्यमंत्री जयराम को ‘नायक’ साबित करने का मोर्चा अब एकाएक सत्ती ने संभाल लिया है। कह सकते हैं कि सत्ती की इस राजनीतिक पुष्प वर्षा से जयराम के खिदमतगार तो यकीनन फूल कर कुप्पा हुए जा रहे हैं मगर राजनीतिक मंडी के विशारद सत्ती के उस सार्वजनिक बयान को एक सियासी विध्वंस के साथ जोड़कर देख रहे हैं।

विधानसभा के पिछले चुनाव में मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर हुए धूमल की पराजय के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर को ही इस सिंहासन का पार्टी में सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है। जाहिर है, सत्ती के एलानिया बयान ने हमीरपुर को नाराज कर दिया है तो जयराम के नासमझ वफ ादार खुशी के समंदर में गोते लगा रहे हैं। बीते जमाने में भी वीरभद्र सिंह की ओर से कभी जगत प्रकाश नड्डा को प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री बताए जाने के बाद केंद्र में जाने को मजबूर हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा भी सत्ती उवाच से अंदर से प्रसन्नचित हैं।

दरअसल 2017 की विधानसभा की जंग के दरम्यिान धूमल को खूब छकाने के बाद भाजपाई आलाकमान ने उन्हें नेता घोषित किया था। लेकिन अभी सवा साल पहले ही कांगड़ा जिले के फ तेहपुर हलके में सत्ती ने जयराम के हक में सीधा फ रमान जारी कर दिया कि पार्टी का नेतृत्व जयराम ही करेंगे। जाहिर है, भीतर से भाजपा में बंवडर मचा है।

इधर दलील दी जा रही है कि असल में ‘सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे’ पर अमल करते हुए चुनावी चेहरा घोषित किए जाने को लेकर सत्ती ने जयराम पर शाब्दिक जाल फेंका लेकिन इससे बेखबर जयराम अभी सत्ती की ठकुरसुहाती से गद्गद हैं। कहना न होगा जयराम के साथ धूमल समर्थकों की अंदरूनी खुन्नस किसी से छिपी नही। लिहाजा एक तरह से सत्ती ने दोधारी तलवार से धूमल बनाम जयराम के जरिए हमीरपुर और मंडी जिलों को काटने के साथ नड्डा की बांछे खिलाने की कोशिश की है। लिहाजा आलाकमान को पूछे बगैर जिस जल्दबाजी में सत्ती ने जयराम के नाम कानगाड़ा बजाया है,उससे धूमल और उनके समर्थकों के आक्रोश की आवृति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। बहरहाल सत्ती की ओर से जयराम को नेता बताए जाने के बाद लोगों की नजर अब 16 अगस्त से शुरू हो रही केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की आशीर्वाद यात्रा पर रहेगी।