बिहार चुनाव परिणाम आने के दो दिन बाद राजद के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानन्द तिवारी ने अपने फेसबुक पर लिखा, “बिहार आंदोलन के दौरान लालू यादव और मैं फुलवारी शरीफ जेल के एक ही कमरे में बंद थे। लालू यादव उस आंदोलन का बड़ा चेहरा थे। लेकिन उनकी आकांक्षा बहुत छोटी थी। रात में भोजन के बाद सोने के लिए जब हम अपनी अपनी चौकी पर लेटे थे तब लालू यादव ने अपने भविष्य के सपने को मुझसे साझा किया था। लालू ने मुझसे कहा कि ‘बाबा, मैं राम लखन सिंह यादव जैसा नेता बनना चाहता हूँ।”
शिवानन्द तिवारी ने जिस बिहार आन्दोलन को याद किया है उसे 1974 के जय प्रकाश नारायण आन्दोलन के रूप में जाना जाता है। करीब 50 साल पहले जो नेता लालू प्रसाद यादव के आदर्श हुआ करते थे, उन्हें आज की पीढ़ी बहुत कम जानती होगी। शिवानन्द तिवारी ने अपनी पोस्ट में यह फैसला भी सुनाया है कि लालू प्रसाद राम लखन सिंह यादव जैसे नेता नहीं बन पाये।
2023 के मार्च महीने में आयोजित राम लखन सिंह यादव स्मृति समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्य अतिथि थे। समारोह में नीतीश कुमार ने कहा, “मेरा जन्म बख्तियारपुर में हुआ है। मेरे पिताजी स्वतंत्रता सेनानी थे और बख्तियारपुर में स्कूल का निर्माण कराया था, साथ ही कॉलेज का निर्माण कराना चाहते थे। इसी दौरान राम लखन सिंह यादव ने बख्तियारपुर में कॉलेज का निर्माण कराया। हम अक्सर जाकर उस कॉलज को देखते रहते हैं।”
बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयान से अंदाज लगाया जा सकता है कि मण्डल-कमण्डल की राजनीति के उभार के पहले बिहार की राजनीति में राम लखन सिंह यादव का कद कितना ऊँचा था।
भारत विभाजन के बाद हुई पहली जनगणना में बिहार की साक्षरता दर 13.5 प्रतिशत थी। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की साक्षरता दर 61.8 प्रतिशत थी। बिहार में कम से कम 11 कॉलेजों के नाम राम लखन सिंह यादव के नाम पर हैं। उन्हें दर्जनों शिक्षा केंद्रों की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। जाहिर है कि वह उन स्वप्नदृष्टा नेताओं में थे जो शिक्षा का महत्व जानते थे।
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1990 में लालू यादव राज्य के मुख्यमंत्री बने। 1997 में चारा घोटाले के आरोप में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने तक लालू यादव बिहार के सबसे बड़े यादव नेता के रूप में देखे जाने लगे थे। हालाँकि उनसे पहले यादव समुदाय से बिहार में दो मुख्यमंत्री बीपी मण्डल और दरोगा प्रसाद राय हो चुके थे। राम लखन सिंह यादव बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके थे।
कई राजनीतिक जानकार बिहार में लालू यादव के मुख्यमंत्री बनने से पहले तक राम लखन सिंह यादव को राज्य का सबसे बड़ा यादव नेता माना जाता था। राम लखन सिंह यादव बिहार में कांग्रेस के सुनहरे दौर की उपज थे। महात्मा गांधी के प्रभाव में आकर उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया।
राम लखन सिंह यादव को उनके चाहने वाले शेर-ए-बिहार (बिहार का शेर) कहते थे। उनका जन्म पटना जिले के हरिहरपुर गाँव में नौ मार्च 1920 को हुआ था।
राम लखन सिंह यादव 1947 में जिला परिषद के सदस्य के रूप में चुन गये। 1952 के पहले चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। 1962 के बिहार चुनाव में जीत हासिल करने के बाद वह कृष्ण बल्लभ सहाय के मंत्रिमण्डल में मंत्री बने।
देश के पहले चुनाव से लेकर 1996 तक राम लखन सिंह यादव ज्यादातर किसी न किसी सदन के सदस्य रहे। करीब चार दशक तक वह विधायक रहे। 1991 के आम चुनाव में राम लखन सिंह यादव आरा लोक सभा से जनता दल के टिकट पर जीतकर संसद पहुँचे और दल बदल कर पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में केंद्रीय मंत्री बने।
राम लखन सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे प्रकाश चंद्र यादव ने आगे बढ़ाया। उनके बेटे प्रकाश चंद्र यादव सासद रहे हैं। उनके पोते जय वर्धन यादव बिहार के पालीगंज विधान सभा से दो बार विधायक रहे हैं।
बिहार चुनाव परिणाम
| क्रम | पार्टी का नाम | सीटें जीती | वोट शेयर % |
|---|---|---|---|
| 1 | भारतीय जनता पार्टी (BJP) | 89 | 20.87% |
| 2 | जनता दल (यूनाइटेड) – JD(U) | 85 | 18.91% |
| 3 | राष्ट्रीय जनता दल (RJD) | 25 | 22.76% |
| 4 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) | 6 | 8.46% |
| 5 | लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) – LJP(RV) | 19 | 5.11% |
| 6 | AIMIM | 5 | 2.07% |
| 7 | हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) – HAMS | 5 | 1.14% |
| 8 | राष्ट्रीय लोक मोर्चा | 4 | 0.97% |
| 9 | निर्दलीय | 9 | 4.66% |
| 10 | CPI (मार्क्सवादी–लेनिनवादी) (लिबरेशन) | 2 | 3.05% |
| 11 | बहुजन समाज पार्टी (BSP) | 1 | 1.52% |
| 12 | जन सुराज पार्टी (JSP) | 0 | 3.44% |
| 13 | विकासशील इंसान पार्टी (VIP) | 0 | 1.57% |
