आगामी विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी (आप) ने जमीन तैयार करनी शुरू कर दी है। कोरोना काल में बढ़ी बेरोजगारी के मद्देनजर आप ने यूपी के चुनाव में इसे हथियार की तरह इस्तेमाल करना तय किया है। वह प्रदेश के युवाओं को लुभाने के लिए रोजगार गारंटी रैलियों का आयोजन करेगी और प्रदेश में चुनाव प्रचार की शुरुआत ऐसी ही एक रैली से करेगी।
पार्टी के मुताबिक युवाओं को रोजगार गारंटी रैली से जोड़ने की शुरुआत खुद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल करेंगे। इसकी शुरुआत लखनऊ के रमाबाई आंबेडकर मैदान से होगी। युवाओं को रोजगार आप आदमी पार्टी के प्रमुख वादों में से एक है और यहां पहले ही आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया खुद जाकर स्थिति का आकलन कर चुके हैं। हालांकि पार्टी की तरफ से पहले ही चुनाव में जीत होने पर शिक्षा तंत्र पर 25 फीसद तक बजट खर्च के प्रावधान का एलान किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त पार्टी दिल्ली के शिक्षा मॉडल को उत्तर प्रदेश में आम जनता के बीच रख रखी है।
इसके लिए बीते सालों के आंकड़ों के आधार बनाया जा रहा है। बीते साल बेरोजगारी की स्थिति लेकर सेंटर फॉर मॉनिटरिंग (सीएमआइई) ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में सामने आया था कि कोरोना संक्रमण काल में हुए बंद की वजह से 1.77 करोड़ लोगों ने अप्रैल में अपनी नौकरी गवाई थी। इसके बाद मई में करीब एक लाख लोगों की नौकरी चली गई थी। बाजार की खराब स्थिति की वजह से नौकरियां जाने का संकट बार बार सामने आया है। हालांकि अगस्त माह में स्थिति में सुधार होने का दावा किया गया है।
आप ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में उतरने के लिए सबसे पहले राम मंदिर से खुद को जोड़ा। देश में रेल यात्राओं की शुरुआत के साथ ही आप पार्टी ने दिल्ली वालों को अध्योध्या से जोड़ने की पहल की है। इसके लिए मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के तहत लोगों को रामलला के दर्शन कराए हैं। यहीं नहीं तमाम राजनीतिक विरोधियों की टिप्पणी के बाद वे खुद रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे हैं और हनुमान गढ़ी के दर्शन भी करके आए हैं।
इसे आम आदमी पार्टी के विकास मॉडल से हटकर देखा गया, जो अब तक इस पार्टी में नजर नहीं आया था।किसानों की मांगों को लेकर भी आम आदमी पार्टी पहले ही समर्थन कर चुकी है। इसके अतिरिक्त दिल्ली की मुफ्त बिजली पानी की बड़ी योजाएं भी इस बार आम आदमी पार्टी के पिटारे में रहेंगी।