दिल्ली नगर निगम चुनाव से ठीक पहले केंद्र की मोदी सरकार ने यह कहते हुए चुनाव कराए जाने पर रोक लगाने की मांग की कि राजधानी के विकास के लिए तीनों नगर निगमों का एकीकरण किया जाएगा। इसको लेकर सरकार संसद में एक विधेयक भी लेकर आई। राज्यसभा में ‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022’ विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह नगर निगम के विकास के लिए एकीकरण करने के लिए नहीं लाया गया, बल्कि यह विधेयक भाजपा को चुनाव में अपनी हार के डर की आशंका की वजह से लाना पड़ा।
राज्यसभा में मंगलवार को आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार केजरीवाल से डरती है। उन्होंने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि “56 इंच का सीना लेकर पीएम चुनाव से भाग गए।” उन्होंने केंद्र से कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में तीनों नगर निगम के एकीकरण संबंधी विधेयक का नाम बदलकर ‘‘केजरीवाल फोबिया बिल’’ रख दे। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) निगम चुनाव से बचने के लिए यह विधेयक लाई है।
उन्होंने दावा किया कि अरविन्द केजरीवाल की पार्टी को सत्ता में आने से रोकने के लिए केंद्र यहां तीनों नगर निगमों पर अपना नियंत्रण करना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप चुनाव नहीं लड़ना चाहते, चुनाव से भागना चाहते हैं तो मैं आपको सुझाव दूंगा कि इस विधेयक का नाम केजरीवाल फोबिया बिल रख दीजिए। यह विधेयक आपकी कायरता की कहानी लिख रहा है… आपने दिल्ली को भ्रष्टाचार का केंद्र बना दिया है।’’
इस विधेयक को गृह मंत्री अमित शाह के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री शाह ने विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि अगर यही रवैया रहा तो नगर निगम में जीतने का दावा करते करते वह दिल्ली की सरकार न गंवा दें। उन्होंने दिल्ली की आप सरकार पर तीन नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह निगमों को प्रताड़ित कर रही है और इससे दिल्ली की जनता प्रताड़ित हो रही है।
शाह ने इस बात को निराधार बताया कि भारतीय जनता पार्टी सरकार हार के भय से आक्रांत होकर चुनाव टालना चाहती है। उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि अगर छह महीने बाद चुनाव होंगे तो क्या विपक्ष को हारने का भय है।