बचपन में हर बच्चे अपने माता-पिता से ज्यादा अपने दादा-दादी के पास रहना ज्यादा पसंद करते हैं। उसकी वजह भी होती है क्योंकि दादा-दादी बच्चों को खूब प्यार करते है। बच्चों को जब डांट पड़ती है तो दादा-दादी उन्हें इससे बचाते हैं और खूब कहानियां सुनाते हैं। इसी बीच दादा-दादी और पोते की अनोखी कहानी सामने आई है। जो हर किसी का दिल जीत रही है। अभी तक ऐसा देखने को मिलता है कि दादा-दादी अपने पोते-पोतियों के लिए दो कदम आए बढ़कर करते हैं लेकिन इस बार पोते ने जो किया है। उसको लेकर हर कोई पोते के हौसले की तारीफ कर रहा है।

दादा-दादी और पोते की अनोखी कहानी कुछ ऐसी है कि 11 साल के शुभ निषाद को अपने दादा-दादी की याद रही थी। उसके बाद शुभ ने जो किया वह सबको हैरान करने वाला था। महज 11 साल की उम्र में ही शुभ ने बिना अपने माता-पिता को बताए ही दादा-दादी के घर यानी की गोरखपुर जाने का निर्णय कर लिया। बीते 15 जून को शुभ ने अपने बैग में कुछ कपड़े रखे। अपनी साइकिल उठाई और बेधड़क हजारों किलोमीटर दूर गोरखपुर के लिए निकल गया।

शुभ के घर से गोरखपुर जाने की जानकारी उसके माता-पिता को भी नहीं थी। शुभ अपने माता-पिता के साथ गुजरात के भरुच में रहता था। जहां उसके पिता सुरेश निषाद काम करने के लिए गोरखपुर से आकर रह रहे थे। शुभ के गायब होने की जानकारी सुरेश ने स्थानीय पुलिस को दी। उसके साथ ही उन्होंने अपने बेटे को खोजने वाले के लिए 50 हजार का इनाम भी घोषित किया। इस दौरान सुरेश ने गोरखपुर अपने माता-पिता से शुभ के बारे में पुछा लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली।

कुछ दूर के बाद ही ट्रक के चपेट में आया शुभ

छोटी सी उम्र में शुभ ने इतनी बड़ी हिम्मत दिखाई। उसने साइकिल से ही हजारों किलोमीटर की दूरी नापने का फैसला कर लिया। लेकिन उस नन्हे से बालक को ये नहीं पता था कि साइकिल ये दूरी नापना छोटी-मोटी बात नहीं है। कुछ दूर तक तो वह अपनी साइकिल से बढ़ा कि इसी बीच अंकलेश्वर के पास शुभ एक ट्रक की चपेट में आ गया।

ट्रक ड्राइवर ने बस से भेजा गोरखपुर

ट्रक ड्राइवर की दरियादिली ने शुभ को 38 दिन तक अपने पास रखा और उसका इलाज किया। शुभ को अपने बारे में कुछ पता नहीं था। ऐसे में ट्रक ड्राइवर ने शुभ को अपने साथ सूरत, मुंबई समेत कई शहर होते हुए लखनऊ ले आया। शुभ को केवल इतना पता था कि उसे गोरखपुर जाना है। जिसके बाद 39वें दिन ट्रक ड्राइवर ने शुभ लखनऊ में रोडवेज बस से गोरखपुर भिजवा दिया। जहां बस स्टैंड पर उतरकर शुभ अपने घर पहुंच गया। आखिर कार वो घड़ी भी आ गई जब शुभ 40वें दिन अपने दादा-दादी के पास पहुंच ही गया।