भविष्य में क्वांटम कंप्यूटिंग हमारी डिजिटल दुनिया का नक्शा बदल कर रख देगी। हम कई नई चीजें कर पाने में सक्षम होंगे। जैसे दवाइयां बनाना या प्रोटोटाइप करना या फिर र्इंधन का कम इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए रास्ते निर्धारित करना। क्वांटम कंप्यूटर की मदद से जटिल से जटिल समस्याओं को हल करने का रास्ता निकल सकेगा।
अमेरिका और चीन के बीच एक ऐसे क्वांटम कंप्यूटर के विकास के लिए होड़ चल रही है जो आज की डिजिटल दुनिया को बदल कर रख देगा। सूचना तकनीक के क्षेत्र में यह उसी तरह की क्रांति होगी जैसे कंप्यूटर के आने से हुई। अमेरिका ने एक सौ अठारह योजनाओं में लगभग पच्चीस करोड़ डालर का निवेश किया है। उधर, चीन सरकार हेफेई में नेशनल लेबोरेटरी आॅफ क्वांटम इन्फार्मेशन साइंस विकसित कर रही है। दो साल पहले ही चीन ने पहले क्वांटम संचार उपग्रह छोड़ा था। चीन जिनान प्रांत में एक गुप्त संचार नेटवर्क भी स्थापित कर रहा है। क्वांटम सूचना के क्षेत्र में दुनिया की दो बड़ी आर्थिक शक्तियों की प्रतिद्वंद्विता इसके महत्त्व को दर्शाती है। दरअसल यह तकनीक इतनी शक्तिशाली होगी कि दुनिया को बदल कर रख देगी।
क्वांटम कंप्यूटर बनाने के लिए भारत सहित कई देशों के वैज्ञानिक प्रयासरत हैं। डिजिटल युग में जिसके पास डेटा है, वही सबसे ताकतवर है। क्वांटम कंप्यूटर की विशेषता यह है कि यह डेटा विश्लेषण की रफ्तार लाखों गुना बढ़ा देगा। कम से कम जगह में ज्यादा से ज्यादा डेटा जमा कर सकता है और गणना की तकनीक को अधिक दक्ष बना सकता है। इससे ऊर्जा की खपत भी कम होगी। आज क्वांटम कंप्यूटर बनाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, एल्फाबेट-गूगल, आइबीएम, डी-वेब सहित अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियां और विभिन्न देशों की सरकारें अपने रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा इस अभियान पर खर्च कर रही हैं।
भौतिक विज्ञानी नील्स बोहर के अनुसार ‘अगर क्वांटम भौतिकी ने आपको गहरा धक्का न दिया होता तो उसे आप समझ भी नहीं पाए होते।’ क्वांटम स्तर पर दुनिया बिल्कुल ही अलग है। यहां सब कुछ हमारी सामान्य समझ के एकदम विपरीत घटित होता है। यह शून्य अथवा एक की सीधी-साधी दुनिया नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी जगह है जहां शून्य और एक दोनों की अजीबोगरीब स्थितियां हैं। क्या हमारी दुनिया में यह मुमकिन है कि हम एक सिक्का उछालें और चित्त व पट दोनों एक साथ आ जाए! क्वांटम कंप्यूटिंग के जरिए हम एक ऐसी दुनिया में दाखिल होते हैं जिसमें कई समानांतर गणनाओं का हल एक साथ दिया जा सकता है।
वर्तमान समय में बहुत अधिक आंकड़ों के समूह में से कम समय में कुछ आवश्यक सूचनाएं प्राप्त करना एक बड़ी समस्या है। इस जटिल कार्य को क्वांटम कंप्यूटर बहुत ही आसानी से कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि हमें दस लाख सोशल मीडिया प्रोफाइल में से किसी एक व्यक्ति की जानकारी खंगालनी है तो एक पारंपरिक कंप्यूटर उन सभी दस लाख लोगों से जुड़ी सूचनाओं को देखेगा और इसमें उसे दस लाख चरणों से गुजरना होगा। जबकि क्वांटम कंप्यूटर उसे एक हजार चरणों में ही निपटा सकता है।
इसकी सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता इसकी रफ्तार है। यह कई पारंपरिक कंप्यूटरों द्वारा एक समय में समानांतर तौर पर किए जाने वाले काम को अकेले ही कर सकता है। बैंकिंग और सुरक्षा अनुप्रयोगों में उपयोग किए जाने के लिए कई कूट प्रणालियों का उपयोग इन कंप्यूटरों में किया जाता है जो गणितीय समस्याओं को सुलझाने में एक सीमा के बाद असमर्थ है। क्वांटम कंप्यूटर इन कमियों को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा ये वैज्ञानिक अनुसंधानों, खगोलीय अंतरिक्ष मिशनों, डेटा संरक्षण आदि के लिए भी उपयोगी हो सकते हैं।
दो साल पहले इंटरनेट की दुनिया के बेताज बादशाह गूगल ने यह बता दिया था कि दुनिया क्वांटम युग के करीब पहुंच गई है। दुर्घटनावश सितंबर, 2019 में विज्ञान शोध पत्रिका ‘नेचर’ में छपा एक लेख आॅनलाइन लीक हो गया था। इससे यह पता चला कि गूगल ने ‘साइकामोर’ नामक एक ऐसा क्वांटम कंप्यूटर विकसित कर लिया है जो एक सेकंड में बीस हजार लाख करोड़ गणनाएं करने में सक्षम है। बाद में, गूगल ने यह भी दावा किया कि साइकामोर ऐसी गणनाओं को महज दो सौ सेकेंड में करने में सफल रहा है जिसे दुनिया के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर ‘समिट’ को करने में दस हजार साल लग जाते। गूगल के इस दावे में कितनी सच्चाई थी, यह अभी तक नहीं पता चल पाया है। लेकिन साधारण क्वांटम कंप्यूटर भी आज के सुपर कंप्यूटरों से लाखों गुना तेज होंगे, इस बात में कोई संदेह नहीं है।
क्वांटम तकनीक के विशेषज्ञों के अनुसार क्वांटम तकनीक सूचनाओं के विश्लेषण में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है। सभी सूचनाएं शून्य और एक में कूट रूप से दर्ज होती हैं। लेकिन साठ के दशक में पता चला कि जहां ये सूचनाएं रखी जाती हैं वह जगह इनके इस्तेमाल को प्रभावित कर सकती है। इसका मतलब ये है कि हम सूचनाओं को कंप्यूटर चिप पर स्टोर कर सकते हैं, जैसा कि हम आजकल कर रहे हैं, लेकिन हम शून्य और एक को अन्य बेहद सूक्ष्म स्थान पर जमा कर सकते हैं जैसे कि एक अकेले परमाणु में या फिर छोटे-छोटे अणुओं में। चीनी वैज्ञानिक एलेखांद्रो पोजास के अनुसार ये परमाणु और अणु इतने छोटे होते हैं कि इनके व्यवहार को अन्य नियम भी निर्धारित करते हैं। जो नियम परमाणु और अणु के व्यवहार को तय करते हैं वही क्वांटम दुनिया के नियम हैं।
कुछ वर्ष पहले तक क्वांटम कंप्यूटिंग वैज्ञानिकों के लिए एक सैद्धांतिक कल्पना से ज्यादा कुछ नहीं थी। लेकिन पिछले दो वर्षों में पूरा परिदृश्य ही बदल गया। इस दिशा में हो रही प्रगति की रफ्तार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूरा क्वांटम कंप्यूटर तो नहीं, पर उसके प्रोसेसर या सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) को बाजार में पेश किया जा चुका है। हाल में एक डच कंपनी क्वांटवेयर ने दुनिया की पहली क्वांटम प्रोसेसिंग यूनिट (क्यूपीयू) को पेश किया है। इस सुपरकंडक्टिंग प्रोसेसर का नाम है-सोप्रानो। क्वांटम कंप्यूटिंग के चालीस साल के इतिहास में यह किसी चमत्कारिक उपलब्धि से कम नहीं है। बहरहाल, इस क्षेत्र में अभी तक जितना कुछ हुआ है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि चीन ने इस दौड़ में अपनी बढ़त बना ली है।
वर्ष 2016 में चीन ने दुनिया का पहला क्वांटम संचार उपग्रह छोड़ने की घोषणा की थी और दावा किया था कि वह इसके जरिए कूट संकेतों में संचार स्थापित कर सकता है जिसे दूसरा कोई देश नहीं पढ़ सकता। इन प्रयोगों के जरिए चीन ने सिर्फ क्वांटम तकनीक की अवधारणा को ही साबित नहीं किया, बल्कि उसने यह भी दिखा दिया कि उसके पास ऐसा करने की क्षमता है। क्वांटम तकनीक के उपयोग से स्वास्थ्य एवं विज्ञान, सुरक्षा, औषधि निर्माण और औद्योगिक निर्माण जैसे क्षेत्रों में हजारों नई संभावनाएं पैदा होंगी। आने वाले वक्त में इस दिशा में तीव्र प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है।
भविष्य में क्वांटम कंप्यूटिंग हमारी डिजिटल दुनिया का नक्शा बदल कर रख देगी। हम कई नई चीजें कर पाने में सक्षम होंगे। जैसे दवाइयां बनाना या प्रोटोटाइप करना या फिर र्इंधन का कम इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए रास्ते निर्धारित करना। क्वांटम कंप्यूटर की मदद से जटिल से जटिल समस्याओं को हल करने का रास्ता निकल सकेगा। लेकिन सरकारों की सबसे ज्यादा दिलचस्पी रक्षा क्षेत्र में इनका इस्तेमाल करने में है। जैसे कि बेहद सुरक्षित संवाद स्थापित करना या दुश्मन के विमानों का पता लगाना। क्वांटम कंप्यूटर को लेकर बड़ी चिंता इसके गोपनीय कूट संकेत को हल करने को लेकर है। अभी तक कूट संकेतों को डेटा की सुरक्षा के लिहाज से विश्वसनीय माना जाता है। क्वांटम कंप्यूटर से यह काम और आसान हो जाएगा।
