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रतन टाटा के शांत स्वभाव और लीडरशिप की पूरी दुनिया कायल रही है। उनका नाम इंडियन इंडस्ट्री में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है। टाटा समूह को बुलंदियों तक पहुंचाने से लेकर समाज सेवा तक, उनका योगदान अतुलनीय है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रतन टाटा के जीवन में एक ऐसा पल भी आया जब उनका गुस्सा तूल पकड़ा, और वही गुस्सा बाद में एक जबरदस्त सफलता में बदल गया? (Photo Source: @ratantata/instagram)
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यह कहानी 90 के दशक के अंत और 2008 के बीच के समय की है, जब रतन टाटा को एक अपमानजनक टिप्पणी से गहरा आघात पहुंचा था, लेकिन उन्होंने इसका जबरदस्त जवाब दिया। दरअसल, 1998 में रतन टाटा की टाटा मोटर्स ने भारत की पहली स्वदेशी कार ‘इंडिका’ लॉन्च की थी। (Photo Source: @ratantata/instagram)
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यह कार भारतीय बाजार में एक ऐतिहासिक घटना थी क्योंकि यह पूरी तरह से भारतीय डिजाइन और निर्माण थी। रतन टाटा की व्यक्तिगत रुचि इस परियोजना में थी, और उन्होंने खुद इंडिका की पहली कार को असेंबली लाइन से बाहर निकाला था। (Photo Source: @ratantata/instagram)
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हालांकि, इस कार की शुरुआत कुछ खास नहीं रही और इसे बाजार में अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिल पाई। इसके कारण टाटा मोटर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ा। उस समय रतन टाटा ने सोचा कि शायद उनका कार बिजनेस चल नहीं पाएगा और उन्होंने इसे बेचने का विचार किया। (Photo Source: @ratantata/instagram)
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इसके लिए उन्होंने अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड मोटर्स से बातचीत शुरू की। रतन टाटा और फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड के बीच एक अहम बैठक हुई, लेकिन यह बैठक उनके लिए एक बड़ा अपमान लेकर आई। (Photo Source: @ratantata/instagram)
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बैठक के दौरान, बिल फोर्ड ने रतन टाटा का मजाक उड़ाते हुए कहा कि अगर आप कार बनाने के बारे में कुछ नहीं जानते थे, तो आपने यह बिजनेस शुरू क्यों किया? इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अगर हम आपका कार व्यवसाय खरीदते हैं, तो यह आपके ऊपर हमारा अहसान होगा। (Photo Source: @ratantata/instagram)
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बिल फोर्ड के यह शब्द रतन टाटा के लिए बहुत ही आहत करने वाले थे। इस अपमान के बावजूद, रतन टाटा ने अपना गुस्सा सार्वजनिक रूप से नहीं दिखाया। बल्कि, उन्होंने इसे अपनी प्रेरणा बना लिया और ठान लिया कि वह अपनी कार कंपनी को सफल बनाएंगे। (Photo Source: @ratantata/instagram)
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उन्होंने टाटा मोटर्स के कामकाज को सुधारने पर जोर दिया और इंडिका के मॉडल में बदलाव किए। इसके बाद, नया वर्जन लॉन्च हुआ और यह कार भारतीय बाजार में एक बड़ी सफलता बन गई। वहीं, दूसरी ओर, फोर्ड मोटर्स के लिए स्थितियां खराब हो गई थीं। (Photo Source: @ratantata/instagram)
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दरअसल, 2008 में अमेरिकी ‘ग्रेट रीसेशन’ ने फोर्ड को बुरी तरह प्रभावित किया और वह दिवालिया होने के कगार पर था। इस बीच, रतन टाटा ने एक निर्णायक कदम उठाया और फोर्ड के दो प्रतिष्ठित ब्रांड, जैगुआर और लैंड रोवर को खरीदने का प्रस्ताव दिया। (Photo Source: @ratantata/instagram)
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टीम को जब यह जानकारी मिली, तो यह एक ऐतिहासिक मोड़ था। फोर्ड ने अपनी प्रतिष्ठित ब्रांड्स जैगुआर और लैंड रोवर को टाटा मोटर्स को $2.3 बिलियन में बेचा। इस बिजनेस डील के दौरान, बिल फोर्ड ने रतन टाटा को धन्यवाद दिया और कहा, ‘आप हमें जैगुआर-लैंड रोवर खरीदकर हमारा उपकार कर रहे हैं।’ (Photo Source: @ratantata/instagram)
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रतन टाटा ने अपनी पूरी ताकत और मेहनत से टाटा मोटर्स को सफल बनाया। इस दौरान उन्होंने ना सिर्फ अपनी कंपनी को मुनाफे में लाया, बल्कि फोर्ड के ब्रांड्स को भी खरीदकर उन्हें नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी यह सफलता एक गहरी सिख देने वाली कहानी बन गई, जिसमें गुस्से का सकारात्मक उपयोग किया गया और एक बड़े अपमान का जवाब जबरदस्त सफलता से दिया गया। (Photo Source: @ratantata/instagram)
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