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Mayawati: मायावती देश की बड़ी नेताओं में शुमार हैं। वह 4 बार उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की मुख्यमंत्री, राज्यसभा, लोकसभा और विधानसभा की सदस्य रह चुकी हैं।मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav), योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) उनके बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंदी माने जाते रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने बीसएपी चीफ पर लगातार निशाने साधे थे। उनकी संपत्ति को लेकर भी कई बार सवाल उठाए गए। तब मायावती ने कुछ इस तरह से अपना पक्ष रखा था:
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मायावती ने 2010 में चुनाव आयोग को दिये अपने हलफनामे में बताया था कि उनके पास 111 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। उनकी संपत्ति को लेकर अकसर उनपर निशाना साधा जाता है।
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मायावती कहती हैं कि इस तरह की बातें विरोधियों के दलित मानसिकता को दर्शाता है। वो नहीं चाहते कि शोषित वर्ग के लोग तरक्की करें। पूरा देश जानता है कि सबसे ज्यादा करप्ट लोग जिस दल में हैं वो बीजेपी है।
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मायावती आगे कहती हैॆं कि बीएसपी ने शोषितों के लिए इतना काम किया कि लेने वाला देने वाला बन गया है। बसपा के खाते में जितने पैसे हैं वो इस आंदोलन से जुड़े लोगों के सहयोग का परिणाम है।
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मायावती ने 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि वो अकसर बसपा को बहनजी की संपत्ति पार्टी कहते हैं। वो भूल गए हैं कि ये पार्टी कांशी राम के संघर्षों का नतीजा है।
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मायावती का कहना है कि उनके पास जो कुछ भी है वो उनके समाज के लोगों और शुभचिंतकों द्वारा दिया गया है।
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2019 में मायावती ने अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी मुलायम सिंह यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। हालांकि चुनाव के बाद ये गठबंधन टूट भी गया।
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2022 यूपी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बीएसपी ने पूरे प्रदेश में ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए प्रबुद्ध सम्मेलन किए हैं। 7 सितंबर को लखनऊ में इसका समापन हुआ। समापन के मौके पर मायावती ने रैली को संबोधित किया। कार्यक्रम में मायावती के संबोधन से पहले जय श्री राम और जय परशुराम के नारे भी लगे. इसके साथ-साथ पार्टी का पुराना नारा, ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश है।’
