
रेलवे ने पर्यावरण के अनुकूल कदम उठाते हुए शुक्रवार को सौर ऊर्जा से चलने वाली देश की पहली डीएमयू (डीजल इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) ट्रेन शुरू की। -
रिंग रेलवे के सफदरजंग स्टेशन से रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई।
यह बैटरी बैंक की सुविधा से युक्त सौर ऊर्जा से चलने वाली पहली लोकल ट्रेन है। -
बैटरी बैंक की वजह से सूरज की रोशनी के अभाव में भी इसे पर्याप्त ऊर्जा मिलती रहेगी। यह बैटरी सौर ऊर्जा से रीचार्ज होती रहेगी। दिलचस्प ये है कि इस ट्रेन से भारतीय रेल को करोड़ों का फायदा होगा।
रेलवे बोर्ड के मेंबर रविंद्र गुप्ता ने कहा कि अगले कुछ दिनों में 50 अन्य कोचों में ऐसे ही सोलर पैनल्स लगाने की योजना है। उन्होंने कहा कि पूरी परियोजना लागू हो जाने पर रेलवे को हर साल 700 करोड़ रुपए की बचत होगी। उन्होंने बताया कि सोलर पावर पहले शहरी ट्रेनों और फिर लंबी दूरी की ट्रेनों में लगाए जाएंगे। रेलमंत्री ने कहा कि ट्रेन के कोचों की बिजली की सारी जरूरतें जैसे- लाइट, पंखे और सूचना पटल प्रणाली ट्रेन के डिब्बों के ऊपर लगाए गए सौर ऊर्जा पैनलों से बनने वाली बिजली से ही पूरी होंगी। रेलमंत्री प्रभु ने कहा कि यह भारतीय ट्रेनों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में अभूतपूर्व कदम है। प्रयोग के तौर पर शुरू की गई इस ट्रेन को जल्द ही यात्री सेवाओं में लगाया जाएगा। आमतौर पर डीएमयू ट्रेनों में अलग से इंजन नहीं होता और इसके साथ चलने वाले जनरेटर डिब्बे से ही बिजली और पंखे जैसी यात्री सुविधाओं की जरूरत पूरी होती रहती है। -
ये ट्रेनें आमतौर पर छोटी व उपनगरीय रेल सेवाओं का हिस्सा होती हैं।
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ये डीजल व बिजली से दोनों से चलने में सक्षम रही हैं। जिन रूटों पर विद्युतीक रण नहीं हुआ रहता, वहां डीएमयू चलती रही हैं।
अब यह ट्रेन दिल्ली मंडल में उपनगरीय रेल प्रणाली के तहत यात्री सेवा में लगाई जाएगी। हालांकि यह किस रूट पर चलेगी, यह फिलहाल तय नहीं किया गया है। जल्द ही इसका रूट तय किया जाएगा।