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अरावली हिल्स इस वक्त काफी चर्चा में है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अरावली इलाके में 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अपने आप जंगल के तौर पर क्लासिफाई नहीं किया जा सकता है। कोर्ट के इस फैसले पर अरावली पहाड़ियों को लेकर पर्यावरणविदों और आम जनता विरोध प्रदर्शन कर रही है। सोशल मीडिया से लेकर हर जगह लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इसे ‘100 मीटर का फैसला’ भी कहा जा रहा है। (Photo: @aravali.hill/Insta)
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इतने किलोमीटर तक फैली है
अरावली पहाड़ी दुनिया के सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है जो करीब 670 किलोमीटर तक फैली है। जब धरती पर गंगा नहीं थी, हिमालय नहीं था तब अरावली पर्वत बने थे। ऐसे में आइए जानते हैं अरावली हिल्स के इतिहास के बारे में: (Photo: @aravali.hill/Insta) -
कितनी पुरानी है?
वैज्ञानिकों के अनुसार, अरावली पर्वत का निर्माण प्रोटेरोजोइक युग में हुआ था जो लगभग 250-250 करोड़ वर्ष पहले शुरू हुआ था। यह पर्वत श्रृंखला भारत की जलवायु और पर्यावरण में अहम भूमिका निभाती है। इसके साथ ही थार रेगिस्तान के फैलाव को रोकने में भी अहम महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। (Photo: @aravali.hill/Insta) -
कहां से कहां तक फैली है
अरावली पर्वत श्रृंखला गुजरात के पालनपुर से शुरू होकर राजस्थान हरियाणा से लेकर दिल्ली तक फैली हुई है। इसकी सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर है जो राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन माउंट आबू में है। (Photo: @mount_abu/Insta) -
मरुस्थल को रोकने वाली दीवार है
अरावली पर्वत श्रृंखला के ठीक पश्चिम में थार रेगिस्तान है। यह पहाड़ी इस थार मरुस्थल को गंगा-सिंधु मैदान की तरफ आने से रोकती है। यह एक तरह से दीवार की तरह काम करती है। अगर यह न हो तो दिल्ली जैसे इलाके रेगिस्तान के धूल से भर जाएंगे। (Photo: @mount_abu/Insta) -
इन चीजों का है भंडार
अरावली हिल्स को प्राचीन समय से चांदी और तांबे का भंडार माना जाता है। जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे इस पहाड़ी पर खनन बढ़ता गया। यह कई मौसमी नदियों का भी स्रोत माना जाता है। अरावली का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान के क्षेत्रों के अंतर्गत ही आता है। (Photo: @aravali.hill/Insta) -
खतरा?
वैज्ञानिकों का माने तो अगर 100 मीटर से कम को पहाड़ियों के श्रेणी में नहीं रखा जाएगा तो ऐसे में खनन बढ़ जाएगा। अगर अरावली हिल्स का अस्तित्व खतरे में आता है तो राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली वाले क्षेत्रों में थार मरुस्थल का प्रकोप लगातार बढ़ेगा जिससे तापमान बढ़ेगा और एयर क्वालिटी भी गिर जाएगी। (Photo: @mount_abu/Insta) -
सिर्फ इतनी पहाड़ियां हैं 100 मीटर से ऊंची
पर्यावरणविदों के अनुसार अरावली की 9 प्रतिशत या फिर उससे भी कम पहाड़ियों 100 मीटर से ऊंची हैं बाकी सारी छोटी हैं। ऐसे में ये फॉरेस्ट प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे से बाहर हो जाती हैं। ऐसे होने पर खनन तेज हो जाएगा जिससे आने वाले दिनों में दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा के पर्यावरण प्रभावित होंगे और इसका असर खतरनाक होगा। (Photo: @mount_abu/Insta) -
कुल कितने पहाड़ हैं?
अरावली पर्वत श्रृंखला में करीब 12081 छोटे बड़े पर्वत हैं। इसमें से सिर्फ 1048 के करीब पहाड़ियों 100 मीटर से ऊपर हैं और बाकी की 11033 पहाड़ियां 100 मीटर से छोटी हैं। यानी की करीब 91.3 प्रतिशत अरावली पहाड़ियों पर खतरा मंडरा रहा है। (Photo: @aravali.hill/Insta) -
इन जानवरों का है घर
अरावली पर्वत श्रृंखला 400 से अधिक पौधों की प्रजातियां, 200 से अधिक पक्षियों की प्रजाति, 100 तितलियों की प्रजाति, 20 रेप्टाइल्स प्रजाति और साथ ही कई और जानवरों की प्रजातियां इसके जंगलों में निवास करती हैं। अगर यह नियम आता है तो यह प्रजातियां खत्म हो सकती है। (Photo: @aravali.hill/Insta) Aravalli Hills Controversy: अरावली, नियमगिरि, पश्चिमी घाट… माइनिंग ने पहाड़ों को संकट में डाला, डरा रहे आंकड़े