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सर्दियां आते ही कई लोग ठंड से बचने के लिए रात को रजाई, कंबल या शॉल से अपना चेहरा ढककर सो जाते हैं। यह आदत देखने में आम लगती है, लेकिन हेल्थ के लिहाज से यह कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकती है। कम ऑक्सीजन मिलना, सांस लेने में दिक्कत, स्किन इरिटेशन से लेकर बार-बार सर्दी-जुकाम होने तक, चेहरा ढककर सोने के कई दुष्प्रभाव हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह आदत क्यों सेहत के लिए नुकसानदायक है और इससे कैसे बचा जाए। (Photo Source: Pexels)
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ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है
मुंह या नाक ढककर सोने से हवा का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होता है। कंबल के अंदर सीमित ऑक्सीजन और अधिक कार्बन डाइऑक्साइड जमा होने लगती है। इससे नींद में दम घुटने जैसा एहसास, सिरदर्द, थकान और सुबह उठते ही सुस्ती हो सकती है। लंबे समय तक ऐसा करना नींद की गुणवत्ता को काफी हद तक खराब कर देता है। (Photo Source: Pexels) -
स्किन को नुकसान: पसीना और रैशेज
कंबल या रजाई के अंदर की हवा गर्म होने के कारण चेहरा पसीजने लगता है। इससे त्वचा में रूखापन, दाने, रैशेज और पोर्स बंद होने की समस्या उभर सकती है। संवेदनशील त्वचा वाले लोगों में यह समस्या और अधिक बढ़ जाती है। (Photo Source: Pexels) -
सांस लेने में कठिनाई
जब चेहरा ढका होता है, तो सांस लेने की जगह कम हो जाती है। इससे रात में बार-बार नींद खुल सकती है या नींद उथली हो जाती है। यह समस्या खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारी (अस्थमा, ब्रोंकाइटिस) से जूझ रहे लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकती है। (Photo Source: Pexels) -
गला खराब, खांसी और सर्दी-जुकाम की संभावना
कंबल के अंदर की घुटन भरी हवा और नमी गले में जलन पैदा कर सकती है। इसका असर इस तरह दिख सकता है सुबह उठते ही गला बैठना, सूखी खांसी, सर्दी-जुकाम के लक्षण बढ़ना। सांस में वापस ली गई दमघोंटू और गर्म हवा शरीर पर नेगेटिव प्रभाव डालती है। (Photo Source: Pexels) -
इम्यून सिस्टम पर असर
लंबे समय तक मुंह ढककर सोने से शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इससे इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है, बार-बार वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। कमजोर इम्युनिटी वाली स्थिति में सर्दियां और ज्यादा चुनौतीपूर्ण बन सकती हैं। (Photo Source: Pexels) -
धूल और एलर्जेंस के संपर्क में आना
कंबल, तकिया और रजाई में माइक्रो-डस्ट, एलर्जेन और बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। मुंह ढककर सोने से ये सीधे सांस के साथ शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। यह एलर्जी, छींक, जलन या अस्थमा के अटैक की संभावना बढ़ा सकता है। (Photo Source: Pexels) -
सांस संबंधी समस्याएं बढ़ने का खतरा
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए मुंह ढककर सोना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। सीमित जगह में सांस लेने से सीने में जकड़न और सांस फूलने जैसी स्थितियां बन सकती हैं। (Photo Source: Pexels) -
कैसे बचें? सही तरीके अपनाएं
सोते समय मुंह या नाक को ढकने से बचें। यदि ठंड ज्यादा लगती है तो हल्का और साफ कपड़ा उपयोग करें, जो सांस लेने में बाधा न बने। कमरे को थोड़ा गर्म और आरामदायक रखने के लिए हीटर, गर्म पानी की बोतल या गर्म मोजे जैसी सुरक्षित चीजें इस्तेमाल करें। बेडशीट, तकिया और कंबल को समय-समय पर धूप में रखकर साफ करें ताकि धूल और बैक्टीरिया न जमें। (Photo Source: Pexels)
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