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राजा भैया के लिए एक समय सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव मसीहा से कम नहीं थे। मायावती के राजा भैया को जेल भेजने से लेकर पोटा के तहत मुकदमा दर्ज करने जैसे तमाम केस से मुलायम ने ही राजा भैया को बरी किया था। यही कारण था कि राजा भैया भी मुलायम के सदा आभारी रहे, लेकिन मुलायम के बेटे अखिलेश यादव से उनका मोह कैसे भंग हुआ चलिए जानें।
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अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही राजा भैया खा्दय एंव रसद मंत्री बनने के साथ जेल मंत्री भी बने थे। इसे भी पढ़ें-‘अखिलेश यादव के लिए मेरी पार्टी के दरवाजे खुले हैं’, राजा भैया ने मुलायम सिंह यादव के बेटे को दिया था ऑफर
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इतना ही नहीं, अखिलेश के सत्ता में रहने के दौरान ही सीओ जिआ-उल-हक की हत्या का आरोप भी उन पर लगा था। तब भी अखिलेश राजा भैया के साथ खड़े थे और राजा भैया ने नेतिकता के आधार पर मंत्री पद से खुद इस्तीफा दिया था।
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यही नहीं, राजा भैया ने खुलकर एक इंटरव्यू में कहा था कि वह अखिलेश यादव के साथ हैं, थे और रहेंगे। फिर अचानक से ये मोह भंग होने की वजह क्या रही थी। इसे भी पढ़ें- राजा भैया की वादा खिलाफी पर मायावती ने जब अखिलेश यादव की चुटकी लेते हुए कहा था- कुंडा का गुंडा मेरी सरकार में लाइन पर आ गया था
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राजा भैया ने इस राज से पर्दा हटाते हुए कहा था कि वह आज भी सपा के विरोधी नहीं हैं, लेकिन सपा उनके विरोधी दल से मिल गई।
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राजा भैया ने कहा था कि विरोध सपा के राजनैतिक गठबंधन वाले दल बसपा से था और जहां बसपा थी, वहां वह नहीं रह सकते थे। इसे भी पढ़ें- राजा भैया के गढ़ में घुसकर जब मुलायम के बेटे अखिलेश यादव ने कहा था- कुंडा जोन का टूट गया तिलिस्म
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राजा भैया का कहना था कि वह अपने सिंद्धांतों से समझौता नहीं कर सकते थे, इसलिए सपा के उस गठबंधन में वह शामिल नहीं हुए थे।
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राजा भैया की सपा से दूरी अखिलेश यादव को नागवार गुजरी थी और उन्होंने राजा भैया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इसे भी पढ़ें- ‘हिम्मत है तो हमारे संग राजा भैया खेल लें फुटबॉल’, अखिलेश यादव ने जब दी थी चुनावी सभा में चुनौती
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बता दें कि राजा भैया ने अब खुद की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक भी बना चुके हैं।
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Photos: PTI
