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मायावती यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। कभी बीजेपी तो कभी सपा के साथ मिलकर बसपा ने यूपी में सरकार बनाई थी, लेकिन मायावती की बीजेपी के साथ गठबंधन वाली की सरकार लंबी नहीं चल सकी थी और इसका बदला उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी से लिया था। कैसे आइए बताएं।
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मायावती तो राजनीति में लाने वाले कांशीराम थे और कांशीराम ने ही बसपा सुप्रीमो को राजनीति के दांव सीखाए थे। उनकी सीख का प्रैक्टिकल मायावती ने कई बार राजनैतिक दलों को पटखनी देने के लिए किया था। इसे भी पढ़ें- मायावती ने आरएसएस को दिया था दस लाख का अनुदान
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साल 1999 में बीजेपी के पूर्व पीएम रहे अटल बिहारी वाजपेयी की एक वोट से 13 महीने में गिरी सरकार के पीछे मायावती का बड़ा हाथ था।
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1999 में जब तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री रही जयललिता ने बीजेपी से अपना समर्थन ले लिया था तब बीजेपी विश्ववास मत के लिए अन्य दलों से साठगांठ साधने लगी थी। इसमें मायावती का नाम सबसे ऊपर था। इसे भी पढ़ें –बीजेपी प्रत्याशी के मौत पर जब मायावती फूट-फूट कर रो पड़ी थीं
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पांच लोकसभा सांसदों के साथ लोकसभा में उस वक्त पहुंची मायावती को लालजी टंडन ने अटल बिहारी वाजपेयी को समर्थन देने के लिए मना लिया था, लेकिन सदन में जाकर मायावती ने कुछ ऐसा किया कि सब अचंभित रह गए थे।
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मायावती 16 अप्रैल की रात अपने कार्यकताओं और विधायकों साथ बैठक की और तब आरिफ मोहम्मद खान ने उन्हें बताया कि यदि बीजेपी का साथ दिया गया तो यूपी में मुस्लमान बसपा के खिलाफ हो जाएंगे। इसे भी पढ़ें – मैं किसी के घर जाकर नहीं बांधती राखी
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वरिष्ठ पत्रकार स्वप्न दासगुप्ता ने इंडिया टुडे के 10 मई, 1999 के अंक में लिखा था कि मायावती को समझ आ गया था कि इसका फायदा सपा को मिलेगा, लेकिन रात तक मायावती बीजेपी के समर्थन की बात करती रहीं।
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17 अप्रैल 1999 को लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पर जब वोटिंग हुई तो सदन में मायावती का मन पलट गया और उन्होंने अपने सांसद आरिफ की तरफ देखकर चिल्लाया, आरिफ लाल बटन ही दबाना। इसे भी पढ़ें – 24 साल बाद जब मुलायम की बहू की मायावती ने की थी तारीफ
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मायावती के इस कदम में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार मात्र एक वोटी से विश्वासमत हार गई थी। (All Photos: PTI)
