एक चैनल ने दिल को समझाया कि ‘जेन-जी’ का कोई ‘लेवल’ नहीं, लेकिन लेह-लद्दाख के एक व्यक्ति की पुकार सुन कर युवा आए। ‘जेन-जी’ का हिंसक प्रदर्शन… पत्थरबाजी और आगजनी… गोली चली… चार की मौत… कर्फ्यू… फिर गिरफ्तारियां। चैनलों में आ जुटे एकवचन, बहुवचन, कटुवचन, तिक्तवचन… अपनी-अपनी रोटी सेंकने। एक वचन: सरकार क्या सो रही थी… सरकार जिम्मेदार..! दूसरा वचन: सब कुछ असली मुद्दों से भटकाने के लिए कराया गया! तीसरा वचन: ‘जेन-जी’ को उकसाया गया… और युवा आंदोलन करने लगे! चौथा वचन: ये तो नमूना है, असली तो आना है! पांचवां वचन: ‘विदेशी फाउंडेशनों’ से इतने-इतने डालर आए… इतना ‘विदेशी धन’ आया और उसने अपना गुल खिलाया..!

सवाल उठा कि इसके पीछे किसका हाथ है, तो जवाब आए कि युवा बेरोजगार पूर्ण राज्य का दर्जा मांगते हैं… सीमावर्ती इलाके पर चीन की नजर है… इतनी जल्दी कैसे दे सरकार राज्य का दर्जा! यों इलाके के विकास के लिए बहुत-सी इमदाद दी गई है! एक चैनल कहिन कि वे भारत में अराजकता फैलाना चाहते हैं… एक चैनल बताए कि नेपाल का सीधे नजर आया तार, कई नेपाली गिरफ्तार! एक कहिन कि हमारे नेता ने तो पहले ही संविधान बचाने के लिए ‘जेन-जी’ का आह्वान कर दिया था! फिर एक कहिन कि हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव ने जवाब दे दिया।

टीवी बहसों में रोज का सर्कस: AI वीडियो से वोट विवाद तक, राजनीति में हर दिन ड्रामा और हमला; पढ़ें सुधीश पचौरी का नजरिया

फिर आया अपने ‘अंकल जी’ का एक बड़ा झटका कि अब से एच1बी वीजा की फीस एक लाख डालर! और अमेरिका के सपने देखने वाला अपना मध्य वर्ग देर तक निराशा के झटके में झूलता रहा। दृश्य भी विचित्र… अंकल कहें कुछ, सचिव कहें कुछ..!

इसे देख कर ‘सिलिकान वैली’ की कुछ शीर्ष तकनीक कंपनियों के भारत-मूल के मालिकों या निदेशकों ने प्रार्थना की कि ऐसे जुल्म न करें महाराज, नहीं तो आपके अमेरिका को ‘फिर से महान’ बनाने वाली ये कंपनियां ही बैठ जाएंगी… याद रखें ‘प्रभु जी! तुम वीजा हम घीसा! तुम्हारे नए शुल्कों ने हमको धर-धर करके पीसा!’

कहते हैं कि तब कहीं जाकर ‘अंकल जी’ पसीजे और कहा कि जिनके पास पहले से ‘एच1बी वीजा’ है, उनको ये फीस नहीं देनी। सिर्फ नए लोगों को देनी होगी। तब जाकर मध्य वर्ग की सांस में सांस आई। इसे कहते हैं कि पहले झटका, फिर कुछ देर झटके को झटका, फिर अंत में सबने सटका..!
अब बिहार का दृश्य: पहले आई एक ‘पारिवारिक कलह कथा’… निस्वार्थ बलिदान की कथा… फिर आई जयंचद कथा… फिर आया सवाल इस परिवार का ‘जयचंद कौन’!

राजनीति, अफवाहें और ताजे किस्से; सुधीश पचौरी के शब्दों में पढ़ें हफ्तेभर का देश-दुनिया का हाल

फिर आया एक शाम प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम लघु संबोधन! घोषित नई ‘जीएसटी’ के सुधारों की घोषणा, यानी उत्सवी मौसम में देश की जनता को ढेर सारी बचत की सौगात! सभी चीजें सस्ती… रोजमर्रा के खानपान की चीजों पर जीएसटी शून्य, सिर्फ दो ‘श्रेणी’- एक पांच फीसद वाली और दूसरी अठारह फीसद वाली! भारत में बनी चीजों के उपयोग का आह्वान… आत्मनिर्भर बनने का संदेश!

विपक्ष फिर भी नाखुश… कि ये तो हमारा ही विचार था… कि अगर करना था तो पहले क्यों नहीं किया… कि ये बढ़े शुल्कों के कारण किया… कि यह बिहार के चुनावों के लिए किया गया..! और फिर आई बिहार में आयोजित एक बड़े विपक्षी दल की बड़ी बैठक और बिहार चुनाव के लिए अपेक्षित तैयारियों और महागठबंधन के दलों के सीट बंटवारे की खबरें..! यहीं कहीं से निकली एक खबर, जो कहती थी कि यह है आजादी की दूसरी लड़ाई..! एक चर्चक बोला कि भइए इनमें से किसने लड़ी है आजादी की लडाई?

धमकीबाजी, अंकल सैम और नेताजी… सियासी अखाड़े में तकरार से लेकर तूफान तक; सुधीश पचौरी से जानें हफ्ते की हलचल

सच! इन दिनों निंदकों की गुणवत्ता में भी गिरावट आई है..! अरे भाई इन्होंने न लड़ी, इनके पुरखों ने तो लड़ी..! इस बीच एक नया शब्द आया ‘नेपोकिड (भाई-भतीजे), लेकिन इन दिनों तो ‘नेपोकिड’ होना भी गर्व का विषय बताया जाने लगा है कि ‘नेपोकिड’ भी चुनकर आते हैं..!

इसके बाद आए ‘गरबा उत्सव’ के नए ‘प्रवेश नियम’ कि हिंदुओं का त्योहार… केवल हिंदुओं को इजाजत है… जो तिलक लगाकर आएं… पहचान पत्र… आधार कार्ड आदि साथ लाएं…! इस पर भी हुई कुछ देर हाय हाय..!

फिर उत्तर प्रदेश की सरकार के एक आदेश ने चौंकाया कि थानों में आरोपितों के नाम के साथ जाति नहीं लिखी जाएगी और यह भी कि जाति के नाम से बुलाई सार्वजनिक रैलियों को अनुमति नहीं होगी..! कैसे दिन आ गए हैं कि इन दिनों हर चीज ‘हिंदू मुसलमान’ हुई जाती है!