अमेरिका की ओर से भारी-भरकम शुल्क लगाने के बावजूद भारत के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) इस समय निर्यात बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रहे हैं। वहीं अब नए वर्ष में अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और अन्य कई देशों के साथ एफटीए के आकार लेने से भारत का निर्यात तेजी से बढ़ेगा। वहीं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) बढ़ेंगे और व्यापार घाटे की तमाम चिंताएं भी कम होंगी। हाल ही में जारी विदेश व्यापार के आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2024 से नवंबर 2025 के बीच भारत का कुल निर्यात 64.05 अरब डालर से बढ़ कर 73.99 अरब डालर हो गया। निर्यात में 15.52 फीसद की वृद्धि हुई है।
आगामी वित्तीय वर्ष 2026-27 में व्यापार समझौतों में नए श्रम कानून जान फूंकते हुए दिखाई देंगे। ऐसे में भारत से निर्यात नई ऊंचाई पर होंगे। पिछले दिनों सरकार ने कहा कि भारत द्वारा किए गए विभिन्न मुक्त व्यापार समझौते से पेशेवर सेवाओं पर कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं के कारण भारतीय पेशेवरों के लिए वैश्विक अवसर खुलेंगे और पेशेवर सेवाओं का निर्यात भी बढ़ेगा।
गौरतलब है कि हाल ही में 22 दिसंबर को भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते की घोषणा की गई। इस संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-न्यूजीलैंड की साझेदारी नई ऊंचाइयों पर पहुंचने वाली है और इस समझौते से अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने में मदद मिलेगी। समझौते के तहत न्यूजीलैंड में भारतीय निर्यात पर शून्य शुल्क सुनिश्चित किया गया है। साथ ही न्यूजीलैंड ने भारत में अगले पंद्रह वर्षों में 20 अरब डालर के प्रत्यक्ष निवेश की प्रतिबद्धता भी जताई है।
दूसरी ओर, भारत ने न्यूजीलैंड के 70 फीसद उत्पादों के लिए शुल्क में कमी की पेशकश की है, जो 95 फीसद द्विपक्षीय व्यापार मूल्य को शामिल करती है। ऐसे में इस समझौते से 30 फीसद उत्पादों के लिए शुल्क खत्म हो जाएगा। इस समझौते के तहत लगभग 29.97 फीसद उत्पादों को सूची से बाहर रखा गया है। इनमें दूध, दही, पनीर, मांस और मट्ठा के साथ अन्य पशु उत्पाद, चना, मक्का, बादाम, चीनी एवं प्याज जैसी वस्तुएं शामिल हैं। एफटीए लागू होने के बाद न्यूजीलैंड के लिए भारत का शुल्क घट कर 13.18 फीसद हो जाएगा।
इस मुक्त व्यापार समझौते का मजबूत पक्ष भारत से सेवा निर्यात बढ़ाना और यहां से पेशेवरों को न्यूजीलैंड में अच्छे अवसरों के लिए आगे बढ़ाना भी है। यह समझौता भारत की प्रतिभाओं, नवउद्यम और नवाचार के लिए एक मजबूत बुनियाद प्रदान करता है। यह भारत के लिए सबसे प्रमुख सेवाओं की ऐसी पेशकश करता है, जो अब तक किसी भी पिछले समझौते में शामिल नहीं रहा है। यह समझौता न्यूजीलैंड में भारतीय छात्रों पर संख्या संबंधी सीमाओं को भी हटाता है। साथ ही विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और स्नातकोत्तर डिग्रीधारकों के लिए तीन वर्ष तक और डाक्टरेट कर चुके विद्यार्थियों के लिए अध्ययन के बाद चार साल तक न्यूजीलैंड में काम करने अवसर प्रदान करता है। इतना ही नहीं, भारत के कुशल पेशेवरों के लिए मुक्त व्यापार समझौता एक नया अस्थायी रोजगार प्रवेश (टीईई) यानी वीजा प्रदान करता है। इसका लाभ उच्च मांग वाले क्षेत्रों के भारतीय पेशेवर ले सकेंगे।
भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते के महज चार दिन पहले 18 दिसंबर को प्रधानमंत्री और ओमान के सुल्तान की मौजूदगी में मस्कट में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा ओमान के उनके समकक्ष कैस बिन मोहम्मद अल यूसुफ ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते को आधिकारिक तौर पर समग्र आर्थिक भागीदारी समझौता (सीपा) कहा गया है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि भारत-ओमान के बीच समझौते के तहत भारत के 98 फीसद निर्यात को ओमान के बाजार में शून्य शुल्क पर पहुंच मिलेगी। इस समझौते से भारत के कपड़ा, रत्न-आभूषण, दवाई, वाहन, कृषि उत्पाद और चमड़ा उद्योग को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है। खासतौर से भारत से करीब 3.64 अरब डालर के निर्यात पर ओमान में फिलहाल लगने वाला पांच फीसद शुल्क शून्य हो जाएगा। इसके बदले में भारत ने ओमान से आने वाले विभिन्न उत्पादों पर आयात शुल्क में कमी सुनिश्चित की है।
ओमान से भारत आने वाले 95 फीसद उत्पादों के शुल्क कम होंगे। इनमें खजूर, मार्बल और पेट्रोकेमिकल उत्पाद शामिल हैं। इस मुक्त व्यापार समझौते के तहत भारत के हित में कई अहम बातें हैं। हमारे देश ने घरेलू हितों की रक्षा के लिए कुछ सख्त कदम भी उठाए हैं। पेशेवर आवाजाही पर भी एफटीए में भारत के हित हैं। पहली बार ओमान ने भारतीय पेशेवरों की आवाजाही पर व्यापक रियायतें दी हैं। अब एक अप्रैल 2026 से भारत-ओमान समझौता लागू होने के बाद भारतीय उत्पाद और सेवा निर्यात ओमान में बढ़ सकेंगे और हमारा प्रतिकूल व्यापार असंतुलन कम होगा।
यह बात अहम है कि राजग शासन के दौरान मारीशस, संयुक्त अरब अमीरात और आस्ट्रेलिया के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौते की प्रगति से संबंधित जो नए आंकड़े प्रकाशित हुए हैं, उनके मुताबिक जहां इन देशों के साथ तेजी से व्यापार बढ़ा है, वहीं इन देशों में निर्यात भी बढ़ रहे हैं। वहां से भारत को अधिक निवेश प्राप्त हो रहा है। एक अक्तूबर से भारत और चार यूरोपीय देशों आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नार्वे और यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) के बीच मुक्त व्यापार समझौता लागू हो गया है। एफ्टा देशों को निर्यात बढ़ने लगे हैं। इसी तरह भारत और ब्रिटेन के बीच किया गया मुक्त व्यापार समझौता भी अहम है।
पिछले दिनों ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने भारत के साथ समझौते के विभिन्न पहलुओं पर रणनीतिक मंथन किया और कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते से मिलने वाले अवसर बेजोड़ होंगे। इतना ही नहीं, नए वर्ष में अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, पेरू, चिली, मैक्सिको, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और इजराइल सहित अन्य कई प्रमुख देशों के साथ भी व्यापार समझौते आकार लेते हुए दिखाई देंगे।
पिछले दिनों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दिल्ली में 23वीं भारत-रूस शिखर बैठक में भारत के साथ 2030 तक द्विपक्षीय कारोबार बढ़ा कर सौ अरब डालर किया जाना सुनिश्चित करते हुए भारत-रूस मुक्त व्यापार समझौते के लिए वार्ता तेजी से आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। ऐसे में द्विपक्षीय व्यापार और एफटीए के अधिकतम लाभ लेने और विकास की नई संभावनाओं को साकार करने के लिए एक अप्रैल 2026 से भारत में लागू किए जाने वाले नए श्रम कानून भी मील का पत्थर साबित होंगे। केंद्र सरकार ने जिन नए श्रम कानूनों के तहत चार श्रम संहिताओं को अधिसूचित किया है, उनसे श्रमिकों के लिए राहत और उद्योग-कारोबार के लिए आर्थिक रफ्तार का परिदृश्य दिखाई दे रहा है।
उम्मीद करना चाहिए कि नए वर्ष में सरकार दुनिया के प्रमुख देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते को तेजी से आकार देने के साथ-साथ समझौते के लाभों को पाने के लिए देश के उद्योग-कारोबार और श्रम बल को नई दक्षता के साथ तैयार करेगी। ऐसे में यह भी उम्मीद करें कि ये समझौते भारत को वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की डगर पर आगे बढ़ाएंगे।
