लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इन दिनों ‘वोटर अधिकार यात्रा’ लेकर बिहार की सड़कों पर घूम रहे हैं। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के द्वारा की गई Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ धावा बोला हुआ है। राहुल गांधी इससे पहले भी भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के नाम से दो बार देश के कई राज्यों का दौरा कर चुके हैं। अब एक बार फिर राहुल ने हुंकार भरी है और वह 16 दिन तक बिहार में 3000 किलोमीटर से ज्यादा चलकर बिहार के लोगों से नाता मजबूत कर रहे हैं।

राहुल गांधी बार-बार कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 में बड़े पैमाने पर वोटों की चोरी हुई और इस वजह से ही एनडीए को लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने का मौका मिला।

1.60 लाख से ज्यादा बूथ एजेंट लेकिन आपत्तियां सिर्फ दो

राहुल बोले- वोट चोरी हुई

राहुल गांधी का यह भी कहना है कि न सिर्फ लोकसभा चुनाव 2024 बल्कि उसके बाद महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भी वोटों की चोरी हुई है। उन्होंने अपने इन दावों के समर्थन में तमाम तरह के सबूतों को सामने रखा है। हालांकि चुनाव आयोग ने उनके तमाम आरोपों को खारिज कर दिया है।

राजनीतिक लिहाज से बेहद अहम है बिहार

बिहार राजनीति की प्रयोगशाला है। चुनाव नतीजे अगर महागठबंधन के पक्ष में रहे तो इससे विपक्ष को अगले साल जिन राज्यों में चुनाव हैं, उनमें एनडीए पर मनोवैज्ञानिक बढ़त मिल सकती है। अगले साल केरल, बंगाल, तमिलनाडु में विधानसभा के चुनाव होने हैं।

लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए को बिहार में 2019 जैसी कामयाबी नहीं मिली। 2019 में एनडीए ने लोकसभा की 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन 2024 में यह आंकड़ 30 रह गया।

‘राजनीति में ऐसी नीचता पहले कभी नहीं देखी गई’

बिहार में कांग्रेस बहुत बड़ी ताकत नहीं है और यहां वह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के भरोसे है। डिजिटल मीडिया के इस युग में कांग्रेस सोशल मीडिया पर अपने नेता की रैली का जमकर प्रचार कर रही है और उसे उम्मीद है कि कांग्रेस बिहार में राजद की पिछलग्गू बने रहने की भूमिका से आगे बढ़ेगी।

2020 में खराब रहा था कांग्रेस का प्रदर्शन

यहां पर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों का जिक्र करना बहुत जरूरी होगा। तब महागठबंधन में कांग्रेस को छोड़कर बाकी सभी दलों ने शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन कांग्रेस फिसड्डी रह गई थी। वह चुनाव में बंटवारे के तहत मिली 70 सीटों में से सिर्फ 19 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी और यह माना गया था कि इसी वजह से एनडीए को नीतीश की अगुवाई में बिहार में सरकार बनाने का मौका मिला।

राजद की अगुवाई में महागठबंधन ने 110 सीटें जीती थी जबकि एनडीए बहुमत से सिर्फ तीन सीटें ज्यादा यानी 125 सीटों पर जीत दर्ज कर पाया था। जेडीयू को उस चुनाव में जबरदस्त नुकसान हुआ था और वह 2015 में मिली 71 सीटों के मुकाबले 43 सीट ही जीत पायी थी। 243 सीटों वाले बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 सीटों की जरूरत है।

कांग्रेस को बिहार में मजबूत करने के लिए राहुल गांधी SIR के खिलाफ लड़ाई के अगुवा बने हैं और उन्होंने कथित वोट चोरी के मुद्दे को फ्रंट फुट पर रखकर न सिर्फ बीजेपी बल्कि चुनाव आयोग को भी निशाने पर लिया है।

रेवंंत रेड्डी और एमके स्टालिन को कांग्रेस-राजद ने क्यों बुलाया बिहार? 

राहुल को लड़ाई का चेहरा बना रही कांग्रेस

कांग्रेस ने भरपूर कोशिश की है कि राहुल गांधी इस यात्रा के दौरान आम लोगों तक पहुंचें। इसलिए राहुल गांधी कार से उतरकर बाइक पर लोगों के बीच निकले, उनके साथ प्रियंका गांधी भी मौजूद रहीं, मखाना किसानों से राहुल ने बातचीत की और लोगों को यह समझाने की कोशिश की कि बीजेपी और एनडीए वोट चोरी के जरिये ही सत्ता में बने हुए हैं। सीमांचल, मिथिलांचल और मगध के इलाकों में राहुल गांधी जब SIR के खिलाफ यात्रा की अगुवाई कर रहे हैं तो कांग्रेस उन्हें इस तरह प्रोजेक्ट कर रही है कि चुनाव आयोग के द्वारा कथित रूप से की जा रही गड़बड़ियों के खिलाफ राहुल गांधी ही विपक्ष में सबसे मुखर नेता हैं।

कांग्रेस इस बार फिर से अपने कोटे की विधानसभा की 70 सीटें या उससे कुछ ज्यादा हासिल करना चाहती है लेकिन पिछली बार उसके प्रदर्शन को देखते हुए शायद ऐसा नहीं लगता कि तेजस्वी यादव और राजद के इसके लिए तैयार होंगे। पार्टी ने दलित नेता राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दलित मतदाताओं के बीच संदेश देने की कोशिश की है।

बड़ा सवाल यह है कि आजादी के बाद लंबे वक्त तक बिहार की सत्ता में एक छत्र राज करने वाली कांग्रेस क्या राजद से बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी?

राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री के चेहरे के मुद्दे पर जिस तरह सीधा जवाब नहीं दिया, उससे यह पता चलता है कि कांग्रेस आरजेडी से आगे निकलने की होड़ में है। कांग्रेस ऐसा नहीं चाहती कि बिहार में उसे राजद के सामने कमतर आंका जाए। ऐसी ही स्थिति उत्तर प्रदेश में है, जहां वह खुद को सहयोगी दल समाजवादी पार्टी से पीछे नहीं दिखाना चाहती।

‘राहुल गांधी के डीएनए में तू तड़ाक की भाषा…’, बीजेपी का नेता प्रतिपक्ष पर बड़ा हमला

जाति जनगणना को बनाया था मुद्दा

यहां यह भी बताना जरूरी होगा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और हिंदी बेल्ट में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने जाति जनगणना के मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठाया। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार को जाति जनगणना करानी पड़ेगी और शुरुआत में इसके लिए तैयार नहीं दिखने वाली मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का ऐलान किया। इसका क्रेडिट लेने के लिए राजद और कांग्रेस के बीच बिहार में लड़ाई चलती रही है।

राजद इसका क्रेडिट तेजस्वी यादव को देना चाहती है जबकि कांग्रेस राहुल गांधी को।

बिहार में चुनाव आमतौर पर अपराध, जाति, भ्रष्टाचार और पलायन के मुद्दे पर होता रहा है लेकिन राहुल गांधी की यात्रा के बाद सोशल मीडिया पर जो दिखाई देता है, उससे ऐसा लगता है कि SIR एक बड़ा मुद्दा बन रहा है और इसमें राहुल गांधी की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।

SIR के मुद्दे पर वोट देंगे लोग?

अब जब राज्य में चुनाव की तारीखों का ऐलान होने में कुछ ही दिन बाकी हैं तो एक बड़ा सवाल यह है कि क्या बिहार के मतदाता कथित वोट चोरी के मुद्दे पर वोट करेंगे या केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतीश सरकार के द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों पर वोट देंगे।

ऐसा साफ दिखता है कि विधानसभा चुनाव तक राहुल और तेजस्वी यादव कथित वोट चोरी को और ताकत के साथ मुद्दा बनाएंगे। उनका कहना है कि चुनाव आयोग और भाजपा मिलकर पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक मतदाताओं के वोट काटने की कोशिश कर रहे हैं।

वोटर अधिकार यात्रा के जरिए राहुल गांधी ने पूरी कोशिश की है कि कांग्रेस को न सिर्फ बिहार में बल्कि इसके बाहर भी मजबूत किया जाए। कांग्रेस को भी उनकी इस यात्रा से ढेर सारी उम्मीदें हैं और देखना होगा कि क्या SIR का मुद्दा बिहार के विधानसभा चुनाव में असर करेगा?

बिहार के 65 लाख मतदाताओं का क्या होगा