नई कार खरीदते समय ज्यादार लोगों के जेहन में एक सवाल होता है कि पेट्रोल या फिर डीजल आखिर किस कार को खरीदा जाए। एक दौर था जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी अंतर देखने को मिलता था। लेकिन आज के समय में पेट्रोल और डीजल की कीमत में ये अंतर काफी घट गया है। आज दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 73.07 रुपये प्रतिलीटर है तो वही डीजल की कीमत 66.61 रुपये प्रतिलीटर है। आज हम आपको अपने इस लेख में बतायेंगे कि आपके लिए डीजल कार बेहतर है या फिर पेट्रोल —

डीजल कारों की मांग इसलिए ज्यादा थी क्योंकि उनका माइलेज ज्यादा होता था। लेकिन अब वाहन निर्माता कंपनियों ने नई तकनीकियों का प्रयोग करना शुरु कर दिया है। मसलन मारुति सुजुकी अब अपने ज्यादातर कारों में स्मार्ट हाइब्रिड टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रही है। जिससे पेट्रोल कारें भी बेहतर परफॉर्मेंस के साथ अच्छा माइलेज दे रहे हैं।

इस समय Renault Kwid देश की सबसे ज्यादा माइलेज देने वाली पेट्रोल कार है, ये कार 25.17 किलोमीटर प्रतिलीटर का माइलेज देती है। वहीं इस सेग्मेंट में डीजल कार की बात करें तो Maruti Suzuki Swift सबसे ज्यादा 28.4 किलोमीटर प्रतिलीटर का माइलेज देती है। यानी माइलेज का ये अंतर अब 3 किलोमीटर प्रतिलीटर से भी कम रह गया है।

जानकारों का मानना है कि, यदि आप हर रोज 50 से 60 किलोमीटर तक का सफर अपनी गाड़ी से करना चाहते हैं तो आप पेट्रोल कार का चुनाव कर सकते हैं। इसके अलावा यदि आपकी डेली राइड 70 से 100 किलोमीटर या फिर इससे ज्यादा है तो आप डीजल कार चुन सकते हैं। आप कार से बेहतर माइलेज और ज्यादा पैसों की बचत तभी कर पाएंगे जब आप अपनी राइड के अनुसार कार का चुनाव करेंगे।

कीमत और मेंटेनेंस: पेट्रोल कारों के मुकाबले डीजल कारों की मेटेनेंस ज्यादा होती है। सामान्य तौर पर एक एंट्री लेवल हैबचैक के पेट्रोल वर्जन की सर्विस कॉस्ट 2 हजार से 2,200 तक आती है। वहीं इसी सेग्मेंट के डीजल वर्जन कार की सर्विस कॉस्ट तकरीबन 3,300 रुपये से लेकर 3,500 रुपये तक आती है।

डीजल कार के इंजन की मियाद 10 साल तय की गई है। दिल्ली जैसे शहरों में सरकार ने ये नियम भी बना दिया है कि 10 साल से ज्यादा पुरानी डीजल कारों को चलाने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा किसी भी गाड़ी के पेट्रोल वैरिएंट के मुकाबले डीजल वैरिएंट की कीमत में 1 से 2 लाख रुपये तक का अंतर देखने को मिलता है। अब ये आपकी ड्राइविंग कैपिसिटी पर निर्भर करता है कि आप इन पैसों के अंतर को कैसे पूरा कर सकते हैं।

प्रदूषण: डीजल कारों की सबसे बड़ी खामी यही होती है कि ये पेट्रोल कारों के मुकाबले ज्यादा प्रदूषण करती हैं। डीजल कार जब चलती है ​तो इसके धुएं के साथ नाइट्रोजन डाइऑक्साइड निकलता है। इसके अलावा ये सल्फर डाइऑक्साइड भी बनाती है जो कि किसी भी इंसान के लिए काफी खतरनाक होता है और लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है।

डीजल कारों की बिक्री में पिछले कुछ सालों में लगातार गिरावट दर्ज हुई है। यहां तक की देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने भी आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि वो आगामी अप्रैल 2020 से डीजल कारों का निर्माण बंद कर देगी। देश की वाहन निर्माता कंपनियां अब डीजल के बजाए सीएनजी और इलेक्ट्रिक कारों पर ज्यादा फोकस कर रही हैं।