खिलाड़ी के करियर में अच्छी पारिवारिक पृष्ठभूमि की अहमियत पर जोर देते हुए क्रिकेटर कपिल देव ने शनिवार (7 मई) को कहा कि पारिवारिक मदद प्रतिभा को स्टार में बदलने में काफी अहम साबित होती है। यहां सफल खिलाड़ियों के माता पिता के सम्मान के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान कपिल देव ने संन्यास ले चुके महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर और उनके स्कूल के साथी विनोद कांबली का उदाहरण दिया। विश्व कप 1983 जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान कपिल ने कहा, ‘‘उन दोनों ने एक साथ शुरुआत की और दोनों में समान प्रतिभा थी। कांबली संभवत: अधिक प्रतिभावान था, लेकिन उनके घर का माहौल और मित्र संभवत: सचिन से बिल्कुल अलग थे।’’
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कपिल देव ने आगे कहा, ‘‘हम सभी को पता है कि बाद में क्या हुआ। सचिन 24 साल तक देश के लिए खेला और कांबली गायब हो गया क्योंकि वह अपने करियर के शुरुआत में मिली सफलता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिभा एक चीज है, लेकिन खिलाड़ी को इससे अधिक की जरूरत है। मित्रों, माता पिता, भाई, बहन, स्कूल का समर्थन जरूरी है।’’ सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली स्कूल क्रिकेट खेलने की शुरुआत एक साथ की। दोनों ने स्कूल क्रिकेट में कामयाबी के कई आयामों को छुआ। दोनों टीम इंडिया में भी लगभग एक साथ ही एंट्री की मगर कांबली ज्यादा समय तक अपनी जगह बरकरार नहीं रख पाए।
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