कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में रहते हैं। ट्विटर पर भी दिग्विजय सिंह अपने बयानों और विचारों को लिखते रहते हैं। हाल ही में ट्विटर पर दिग्विजय सिंह और पत्रकार सुरेश चव्हाणके के बीच जमकर बहस हुई। सुरेश चव्हाणके ने दिग्विजय सिंह के पिता पर टिप्पणी की तो दिग्विजय सिंह ने झूठों के बादशाह कहकर जवाब दिया है।
दरअसल एक यूजर को जवाब देते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा कि “मैं संस्कारी सनातन धर्म का पालन करने वाला श्रद्धेय जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी का दीक्षित शिष्य हूं। सभ्यता व संस्कृति का पाठ मैंने अपने माता-पिता से लिया है, महात्मा गांधी से लिया है। गुरू गोलवलकर जी से नहीं लिया। इस पर अशोक चव्हाणके ने प्रतिक्रिया दी है।
अशोक चव्हाणके ने लिखा कि “आपके पिताजी हिंदू महासभा के नेता थे, वह सावरकर जी को हीरो मानते थे।” इसके जवाब में दिग्विजय सिंह ने लिखा कि “झूठों के बादशाह, आपको यह किसने जानकारी दी? मेरे पिता जी सन ४० से कांग्रेस के सदस्य थे, महात्मा गांधी के अनुयायी थे, खादी पहनते थे। हमारे घर के पैतृक मंदिरों में मेरे पिता जी ने अनुसूचित जाति के लोगों को प्रवेश करा दिया था। यदि व हिंदू महासभा में होते तो क्या यह संभव था?”
इसके जवाब में अशोक चव्हाणके ने लिखा कि “आपके पिताजी 1940 से कांग्रेस में थे तो ने 1952 राघोगढ़ के चुनाव में निर्दलीय खड़े हो कर सावरकर जी के “हिंदू महासभा” का समर्थन ले कर जीते थे, यह भी बताएं।” साथ ही चव्हाणके ने एक खबर का लिंक शेयर करते हुए लिखा कि और सबूत दिखाऊं?
लोगों की प्रतिक्रियाएं: राकेश श्रीवास्तव नाम के यूजर ने लिखा कि ‘बाला साहब ठाकरे भी सावरकर जी को महान मानते थे, लेकिन कुर्सी के लिए उद्धव ठाकरे भी उनके साथ हो लिए जो सावरकर जी को गालियां बकते हैं।’ राजीव त्यागी नाम के यूजर ने दिग्विजय सिंह को जवाब देते हुए लिखा कि ‘शंकराचार्य जी के साथ हो सकता है कि चुनाव में फोटो खिंचवा लिया हो, वरना कांची पीठ शंकराचार्य जी का आपके शासन काल में आधी रात में पुलिस ने जो हाल किया, सबको पता है।’
मंजू सिंह ने लिखा कि ‘तो फिर भगवा आतंकवाद की कहानी रचना और प्रज्ञा ठाकुर को प्रताड़ित करवाना किसकी शिक्षा थी?’ संजय नाम के यूजर ने लिखा कि ‘गुरु गोलवलकर से पाठ लिया होता तो 26/11 के लिए हिन्दुओं को जिम्मेदार ना ठहराते। शिष्य कहने से कुछ नहीं होता, उसके अनुसार काम करने होते हैं।’