मूंग दाल को आयुर्वेद में मूंगडा कहा जाता है जिसका अर्थ है – आनंद और खुशी लाने वाला और यही कारण भी है कि आयुर्वेद में इस दाल को नियमित खाने की सलाह दी जाती है। यह दाल बहुत ही आसानी से और जल्दी पच जाती है। साथ ही इसकी तासीर ठंडी होती है जिसके प्रभाव से पेट में गैस नहीं बनती है।

दाल कई भारतीयों के दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह बात बहुत से लोगों को पता नहीं है लेकिन दालों को आहार में शामिल करना जरूरी है क्योंकि दालें हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। इसी तरह दालें भी कई प्रकार की होती हैं- चने की दाल, मसूर की दाल, काली मटर, मिक्स दाल, उरड़ की दाल, अरहर की दाल आदि। इनमें से मूंग की दाल एक ऐसी दाल है जो बहुत ही सेहतमंद मानी जाती है। इतना ही नहीं आयुर्वेद में भी मूंग दाल के फायदों को ‘दालों की रानी’ बताया गया है।

मूंग दाल दो प्रकार की होती है। एक है हरी मूंग की दाल या पीली मूंग की दाल! मूंग दाल पोषक तत्वों से भरपूर होती है। जिसमें फ्लेवोनोइड्स, फेनोलिक एसिड, कार्बोनिक एसिड, अमीनो एसिड, कार्बोहाइड्रेट और लिपिड शामिल हैं। इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीडायबिटिक, एंटीहाइपरटेन्सिव और एंटीट्यूमर गुण भी होते हैं जो कई बीमारियों के खिलाफ कारगर होते हैं।

विशेषज्ञों का क्या कहना है?

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. दीक्षा भावसार ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर एक खास पोस्ट किया है। जिसमें उन्होंने मूंगदाल खाने की विधि और इसके कई फायदे बताए हैं। उनका कहना है कि मूंग दाल एक सुपरफूड है और इसमें ढेर सारे पोषक तत्व होते हैं। इसलिए सभी को मूंग दाल का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा यह दाल पचने में भी आसान और हल्की होती है। यह पेट में कम गैस बनाती है और सबसे अच्छी बात यह है कि यह दिमाग पर सात्विक प्रभाव डालती है।

मधुमेह मरीजों के लिए है फायदेमंद

कई शोधों में यह साबित हो चुका है कि मूंग की दाल मधुमेह में वास्तव में कारगर है। यदि मधुमेह के रोगी द्वारा मूंग दाल का सेवन किया जाता है, तो मूंग की दाल रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटीडायबिटिक गुणों के कारण है। ये गुण रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम करते हैं। अगर आप डायबिटीज का घरेलू इलाज ढूंढ रहे हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह से कुछ दिनों तक मूंग की दाल का सेवन जरूर करें।