दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के डिपो में कैंटीनों की बदहाली का आलम कुछ ऐसा है कि कुछ खाना-पीना तो दूर, वहां बैठने का भी मन न करे। बदइंतजामी ऐसी कि कहीं तिरपाल के नीचे कैंटीन चल रही है तो कहीं बैठने के लिए कुर्सी के बजाए बिजली के खंभे पड़े हैं। इतना ही नहीं, नारायणा विहार डिपो में तो कैंटीन है ही नहीं।
डीटीसी के कर्मचारियों का कहना है कि श्रम विभाग ने सालों से कोई सर्वे नहीं किया है और अव्यवस्था पर किसी का ध्यान नहीं है। दिल्ली में डीटीसी के 44 डिपो हैं और हर जगह उठने-बैठने, खाने-पीने की ऐसी ही स्थिति है, जबकि हर डिपो में हजार के करीब कर्मचारी काम करते हैं। कर्मचारियों के मुताबिक, डिपो की कैंटीनों में कहीं कुर्सी-मेज की कमी है तो कहीं सफाई नहीं है। कई डिपो में वाटर प्यूरीफायर खराब पड़े हैं तो कई के बाथरूमों से बेतहाशा बदबू आती है और कई कैंटीनों की छतों से पानी टपकता रहता है।
वहीं कैंटीन चलाने वालों का कहना है कि डीटीसी दो-दो साल तक सबसिडी का पैसा नहीं देता। पैसा समय से नहीं मिलने के कारण कैंटीन चलाने वालों की व्यवस्था चरमरा जाती है। कर्मचारियों का कहना है कि कैंटीनें बस नाममात्र की हैं यहां ढंग के खाने-पीने के सामान तक नहीं मिलते। इंद्रप्रस्थ स्थित डीटीसी मुख्यालय की कैंटीन का हाल भी कुछ ऐसा ही है। वहां चारों तरफ फैली गंदगी पर मक्खियां भिनभिना रही थीं। कैंटीन की छत, दीवारें और पूरी इमारत जगह-जगह से टूटी पड़ी हैं। कैंटीन में चाय पी रहे राम गोपाल ने कहा कि यहां बैठने तक का मन नहीं करता, लेकिन डीटीसी मुख्यालय में काम करते हैं तो खाना खाने या चाय पीने के लिए यहीं आना पड़ता है। उन्होंने बताया कि चाय-बिस्कुट के अलावा यहां नाश्ते में कुछ नहीं मिलता और सब्जी में पानी के अलावा कुछ नहीं रहता। यह मुख्यालय की कैंटीन है, इसके बावजूद इसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता।
इसी तरह डीटीसी के रोहिणी डिपो-1 में तिरपाल की छत्रछाया में कैंटीन चल रही है और बैठने के लिए बिजली के खंभों की व्यवस्था है। डीटीसी में काम करने वाले संसार सिंह का कहना है कि कैंटीन की शिकायत कई बार श्रम विभाग के अधिकारी से की गई, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि यहां प्यूरीफायर भी काम नहीं करता जिससे डीटीसी के ड्राइवर, कंडक्टर व अन्य कर्मचारियों को साफ पानी तक नहीं मिल पाता।शादीपुर डिपो में कैंटीन की इमारत तो है, लेकिन टेबल और कुर्सियां नहीं हैं।
इस बारे में डीटीसी कर्मचारी यूनियन के लोगों ने श्रम विभाग से भी शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वहीं पंजाबी बाग डिपो का हाल यह है कि वहां के बाथरूम में सफाई नहीं होने से किसी की अंदर घुसने तक की हिम्मत नहीं होती। डीटीसी वर्क्स यूनियन के उपमहासचिव ज्ञानचंद का कहना है कि डीटीसी के 44 डिपो हैं और सभी जगह कैंटीन को लेकर डीटीसी का रवैया लापरवाह है। श्रम विभाग के अधिकारी न तो कैंटीनों की जांच करते हैं और न ही इस ओर ध्यान देते हैं।