विपक्ष ने मंगलवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हवाला मामले में लाल कृष्ण आडवाणी से तुलना करते हुए डीडीसीए विवाद के मद्देनजर वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस्तीफा देने का संकेत दिया है, जिस सुझाव को भाजपा ने खारिज कर दिया है। राज्य सभा में विपक्षी नेता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज मैंने प्रधानमंत्री को यह कहते सुना कि जेटली उसी तरह से पाक-साफ साबित होंगे जैसे लाल कृष्ण आडवाणी जैन हवाला मामले में बेदाग साबित हुए थे। मैं जेटली को याद दिलाना चाहूंगा कि आडवाणी ने तब इस्तीफा दे दिया था और उच्चतम न्यायालय में बेदाग साबित नहीं होने तक वापस नहीं आए थे।’’
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और रणदीप सुरजेवाला के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘तो जेटली से प्रधानमंत्री यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि बेदाग साबित होने तक उन्हें वित्त मंत्री के पद पर नहीं बने रहना चाहिए।’’
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने दावा किया कि आडवाणी से तुलना कर प्रधानमंत्री उन्हें (अरुण जेटली को) यह संकेत दे रहे हैं कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए, पाक-साफ साबित होना चाहिए और फिर वापस आना चाहिए। उन्होंने अलग से संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं इसे जेटली को यह संकेत देने के रूप में देखता हूं कि आप भी वही चीज कीजिये।’’
जेटली के लिए मजबूत समर्थन दिखाते हुए मोदी ने मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक में कहा कि वह (जेटली) अपने खिलाफ विपक्ष द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों में उसी तरह से बेदाग साबित होंगे जैसे कि हवाला मामले में आडवाणी जी हुए थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी: ‘मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि अरुण जेटली भी उसी तरह बेदाग साबित होंगे जैसे कि आडवाणी जी हवाले मामले में हुए थे।’ लेकिन क्या जेटली इस्तीफा देंगे जैसा कि आडवाणीजी ने किया था? सवाल ही नहीं।’’
भाजपा ने हालांकि, ऐसे दावों को फौरन ही खारिज कर दिया। भाजपा सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा, ‘‘आडवाणी और जेटली के बीच कोई तुलना नहीं है। सीबीआई ने एक मामला दर्ज किया और आडवाणी ने नैतिक आधार पर संसद की सदस्यता से इस्तीफा दिया था। जेटली के खिलाफ कोई आपराधिक जांच नहीं है। विपक्ष ने जो आरोप लगाए हैं उसके समर्थन में कोई साक्ष्य नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘गंभीर फर्जीवाड़ा जांच कार्यालय (एसएफआईओ) द्वारा जांच इन आरोपों में उस वक्त
की गई थी जब कांग्रेस सत्ता में थी। इसमें कहा गया था कि कोई फर्जीवाड़ा या धोखाधड़ी नहीं हुई है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते कांग्रेस अपनी सरकार की जांच को नजरअंदाज कर रही है। ऐसा आरोप लगाने का उसके पास कोई नैतिक आधार नहीं है।’’
भाजपा नेता ने इस बात का जिक्र किया कि एसएफआईओ जांच पार्टी सांसद कीर्ति आजाद की शिकायत पर शुरू हुई, जिन्होंने आप और कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद इस मुद्दे को फिर से उठाया है। शर्मा ने कहा कि पहले तो कांग्रेस ने एक ऐसे मामले में संसद को बाधित किया जिसमें इसके नेता सिर्फ 50 लाख रुपये निवेश कर 5,000 करोड़ रुपये का गबन करने के आरोपी हैं और अब उन्होंने जेटली के खिलाफ झूठे आरोपों का सहारा लिया है।
विपक्षी नेता ने कहा कि कीर्ति के बयान का सोमवार को लोकसभा में पार्टी के किसी मंत्री या सांसद ने खंडन नहीं किया जिसका मतलब है कि उनमें से सभी लोग इस बात से सहमत हैं जो कीर्ति कह रहे हैं। भाजपा के सदस्य ने यह भी बताया है कि डीडीसीए मामले में सीबीआई जांच का भी आदेश दिया गया था।
उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि क्या ऐसी जांच का आदेश दिया गया था जैसा कि कीर्ति ने बताया था। अगर दिया गया था तो वह अभी किस स्तर पर है। राज्यसभा में विपक्षी नेता ने यह सुझाव भी दिया कि खेल संगठनों को आरटीआई के दायरे में लाने की संप्रग सरकार की योजना का जेटली के विरोध को भी डीडीसीए के काम काज से जोड़ कर देखना होगा। उन्होंने कहा कि चाहे वह ललित मोदी विवाद हो या कोई और घपला, वहां खेल इकाइयां होती हैं।
सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस लोकसभा और राज्यसभा में सरकार का पूरा सहयोग करने को तैयार है बशर्ते कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री आरटीआई के तहत पारदिर्शता के मुद्दे के हल के लिए खेल संगठनों को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए एक विधेयक लाएं।
जेटली के इस्तीफे की मांग को सही ठहराते हुए आजाद ने इस बात का भी जिक्र किया कि जनवरी 2011 में उच्चतम न्यायालय ने एक फैसले में कहा था कि क्रिकेट एसोसिएशनों के पदाधिकारी भी लोक सेवक हैं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के दायरे में आते हैं।