आतंकवादी संगठन आइएस के छह संदिग्धों को जमानत देने से अदालत ने शुक्रवार को इनकार कर दिया। इन पर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन की गतिविधियों एवं विचारधारा को कथित तौर पर बढ़ावा देने और युवाओं को इसमें शामिल होने के लिए प्रलोभन देने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार किया गया था।
सूत्रों ने बताया कि बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान जिला जज अमरनाथ ने आरोपियों मोहम्मद अजीमुसान, मोहम्मद ओसामा, अखलाक उर रहमान, मीराज, मोहसिन इब्राहीम सैयद और मुदब्बीर को राहत देने से इनकार कर दिया। न्यायाधीश ने आरोपियों की न्यायिक हिरासत और बढ़ा दी। आरोपियों को दिल्ली पुलिस की विशेष इकाई ने कथित तौर पर आइएस से संबंध के लिए मामले में गिरफ्तार किया था। गृह मंत्रालय ने बाद में मामले को राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) को स्थानांतरित कर दिया था।
इन और अन्य आरोपियों को विभिन्न शहरों से पकड़ा गया था जिसमें बंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई और औरंगाबाद शामिल हैं। आरोपी व्यक्तियों के लिए पेश होने वाले वकील एमएस खान ने जमानत अर्जी में कहा कि जांच की अवधि इस अदालत में आठ जुलाई तक बढ़ाई गई थी और वह शुक्रवार को खत्म हो गई। न तो आरोपपत्र दायर किया गया है और न ही जांच की अवधि ही बढ़ाई गई हैै। इसलिए आरोपी जमानत पर रिहा होेने के हकदार हो गए हैं। एनआइए ने यद्यपि वकील की दलील का विरोध किया और कहा कि जांच की अवधि पूर्व में बढ़ाई गई थी। एनआइए ने इससे पहले आरोपियों को यह कहते हुए हिरासत में लिया था कि आइएस के व्यापक षड्यंत्र का पता लगाने के लिए उनकी हिरासत जरूरी है।
एनआइए ने इससे पहले अदालत को बताया था कि दिल्ली पुलिस की ओर से हिरासत में की गई पड़ताल में उन्होंने आइएस के कुछ सक्रिय सदस्यों एवं प्रेरकों के नाम, कोड और मोबाइल नंबर का खुलासा किया था। उसने दावा किया था कि ये सदस्य युवाओं को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन में शामिल होने के वास्ते आकर्षित करने के लिए फेसबुक, स्काइप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल करके अपनी विचारधारा की गतिविधियां बढ़ाने में लिप्त थे।