एक टीवी चैनल के शो के दौरान गाजीपुर में एक किसान ने कहा कि उसने अपने नेता अजीत सिंह छोड़कर बीजेपी के सतपाल मलिक को जिताया, लेकिन आज 11 गांवों में बस भी नहीं चलती। किसान की कोई कुछ नहीं सुनता। उनका कहना था कि आप खुद जाकर देख लो गांवों में शौचालय केवल 20 फीसदी हैं और सरकार कहती फिर रही है कि गांवों में सौ फीसदी शौचालय बना दिए गए हैं।

ऐंकर ने जब पूछा कि पीएम ने कहा कि कानून वैकल्पिक हैं। बहुत से कानून देश में ऐसे बने जिनकी मांग नहीं की गई। फिर भी वो लागू हैं। किसान बोला कि हमें नहीं चाहिए ये कानून। इससे सबका नुकसान होगा। किसान का कहना है कि हमें पता था कि सरकार पीछे नहीं हटेगी। पहले के कानून में ही सुधार करने की काफी गुंजाइश है।

एक अन्य किसान ने कहा कि कहावत है कि एक कमजोर दूसरे कमजोर से लड़े तो दोनों बेहोश हो जाते हैं। इस लड़ाई में सरकार भी कमजोर है और किसान भी हारा हुआ है। इतनी लंबी लड़ाई में दोनों का ही नुकसान होगा। उनका कहना था कि आम किसानों में यह प्रचारित है कि कानून से उसकी जमीन चली जाएगी। किसान को डर है कि कहीं व्यापारी उसे फंसा न दें। किसान जमीन के प्रति समर्पित होता है। जमीन के लिए वो मरने मारने पर उतारू हो जाता है।

चर्चा में एक किसान ने कहा कि किसानों को जो आतंकी कहा गया वो अनर्गल बातें हैं। लेकिन अब सरकार की इन्ही बातों की वजह से किसानों को अपनी गिरफ्त में लेने के लिए कांग्रेस लोकदल वामपंथी सब तैयार हैं। असीमित भंडारण को लेकर किए गए सवाल पर एक किसान ने कहा कि कोई भी कानून जब लाते हैं तो जनता को समझाते हैं। लाने से पहले किसी ने कानून के बारे में नहीं बताया। पब्लिक के मन में भय है कि बिना बताए जो चीज लागू कर दी वो काली ही नजर आएगी।

एक किसान ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी पर लोगों को विश्वास नहीं है। पहले वह कहते थे कि किसान की आमदनी दो गुनी हो जाएगी, लेकिन गन्ने की पेमेंट आज तक नहीं हो पा रही है। एक अन्य ने कहा कि सरकार किसानों को समझा नहीं पा रही है। किसान विचलित हैं क्योंकि असीमित भंडारण की व्यवस्था गलत है। इससे कालाबाजारी बढ़ेगी। किसानों का कहना था कि व्यापारी अनाज की गुणवत्ता देखकर ही कीमत तय करेगा। उनका कहना था कि सरकार बात करने के लिए फोन क्यों नहीं कर रही। बातचीत से ही समाधान निकलेगा। सरकार चाह क्या रही है। क्या वो फिर से बवाल कराना चाहती है।