मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ ) पर केंद्र ने 5 साल के लिए प्रतिबंध बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय का कहना है कि आईआरएफ से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। उसके बयान और भाषण नफरत फैलाने वाले हैं। उसके भाषण से देश में दुश्मनी और नफरत फैल सकती है। जाकिर नाइक फिलहाल मलेशिया में रहता है। वह वहीं से अपने नफरत भरे उपदेश भेजता है।

पहली बार नवंबर 2016 में उसकी संस्था आईआरएफ को गैर कानूनी घोषित कर उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जाकिर नाइक विभिन्न माध्यमों से दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए कट्टरपंथी भाषण और बयान देता है। गृह मंत्रालय ने कहा कि नाइक भारत और विदेशों में एक खास धर्म के युवाओं को आतंकवादी कृत्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है।

वह सैटेलाइट टीवी, इंटरनेट, प्रिंट और सोशल मीडिया के माध्यम से दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए कट्टरपंथी बयान और भाषण देता है। गृह मंत्रालय ने कहा कि इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यूएपीए के तहत आईआरएफ पर लगाए गए प्रतिबंध को और पांच साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। सरकार का मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ये जरूरी है।

नाइक दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक चैनल नेटवर्क पीस टीवी का संस्थापक भी है। उनके पीस टीवी का कई देशों में प्रसारण होता है। एनआईए ने यूएपीए कानून के तहत नाइक के खिलाफ मामला दर्ज किया था। एजेंसी ने उसके मुंबई स्थित संगठन के दफ्तरों की तलाशी ली थी। केंद्र सरकार के प्रतिबंध के बाद एनआईए ने नाइक के भारत के नेटवर्क को तोड़ दिया था।

हालांकि, सरकार कई बार कह चुकी है कि नाइक को मलेशिया से भारत लाने के लिए वह राजनयिक स्तर पर प्रयास कर रही है लेकिन सूत्रों का कहना है कि मलेशिया सरकार उसे भारत को सौंपने से इन्कार कर चुकी है। वहां उसे नागरिकता भी दे दी गई है। उसका असर कितना ज्यादा है, यह बात ढाका कैफे की वारदात से समझी जा सकती है। इस हमले में शामिल आतंकियों ने कहा था कि वो जाकिर नाइक के भाषणों से प्रभावित हुए थे।