पूर्व Congress चीफ राहुल गांधी और उनके कथित चैरिटेबल ट्रस्ट Young India की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दरअसल, शुक्रवार (15 नवंबर, 2019) को आयकर ट्रिब्यूनल ने राहुल की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने यंग इंडिया को चैरिटेबल ट्रस्ट बताया था। ट्रिब्यूनल ने उसी को खारिज करते हुए कहा है कि ये व्यावसायिक संस्था है।
ट्रिब्यूनल के इस निर्णय से साफ है कि यंग इंडिया और राहुल के खिलाफ आयकर विभाग का 100 करोड़ से जुड़ा मामला फिर से चालू हो जाएगा। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा, “यंग इंडिया की तरफ से कोई भी ऐसा काम नहीं किया गया, जिससे मालूम पड़े कि वह चैरिटेबल संस्था है। ऐसा इसलिए क्योंकि, एसोसिएडेट जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के अधिगृहण का उद्देश्य पूरा नहीं किया गया।”
बकौल IT ट्रिब्यूनल, “हम इस बारे में पहले ही चर्चा कर चुके हैं और बता चुके हैं कि AJL की ओर से किसी तरह की गतिविधि रजिस्ट्रेशन मिलने या फिर निर्धारिती की तरफ से सरेंडर करने तक नहीं हुई।”
ट्रिब्यूनल के मुताबिक, AICC द्वारा Young India को लोन दिए, जो कि Associated Journal Limited के जरिए कारोबार कर रही थी। बता दें कि राहुल के साथ मौजूदा कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी यंग इंडिया की निदेशक हैं।
ये दोनों ही कंपनी के 36 फीसदी शेयर्स के मालिक हैं, जबकि मोतीलाल वोहरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास भी इसके शेयर हैं। साल 2017 में कांग्रेस ने दिल्ली HC को इस केस के सिलसिले में बताया था कि यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एक नॉन-प्रॉफिट कंपनी है।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के मुताबिक, “यंग इंडिया एक नॉन प्रॉफिट कंपनी है, जो कि सिर्फ ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार चलाती है, जिसका आजादी से जुड़े आंदोलन में अहम योगदान रहा है। कंपनी एक्ट के अनुसार, कोई भी व्यक्ति इसके जरिए आने वाले किसी भी प्रकार के मुनाफे, सैलरी या डिविडेंड का एक भी रुपया नहीं निकाल सकता।”