कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है। इस बीच गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर पुलिस लगातार आरोपियों को पकड़ने की कोशिश में है। बीते दिनों में कुछ किसानों और हाल ही में एक पत्रकार को भी सिंघु बॉर्डर से उठा लिया गया था। अब पंजाब के युवा वकीलों के एक समूह ने सिंघु बॉर्डर पर लीगल हेल्प डेस्क लगाई है, जो गिरफ्तार हुए और लापता किसानों की मदद करेगी। दूसरी तरफ पंजाब सरकार के अफसरों की एक टीम किसान आंदोलन खत्म कराने के लिए दिल्ली में ही जम गई है। बताया गया है कि यह अफसर लगातार किसान संगठनों और केंद्र सरकार के साथ संपर्क में हैं, ताकि आंदोलन को जल्द से जल्द खत्म कराया जा सके।

सिंघु बॉर्डर के मेन स्टेज के पास लगा लीगल सेल: इन वकीलों में 24 से लेकर 34 साल की उम्र के पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पांच युवा वकील शामिल हैं। लीगल सेल को सिंघु बॉर्डर के प्रदर्शनस्थल के मेन स्टेज के पास ही लगाया गया है, ताकि आंदोलनकारियों को उन तक पहुंचने में कोई दिक्कत न हो। मनसा की एक वकील रमनदीप कौर ने बताया कि उनकी 150 वकीलों की एक टीम है और वे अभी करीब 181 लोगों के साथ काम कर रहे हैं। इनमें से 128 लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि बाकी लापता हैं। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार लोगों के लिए वे जमानत करने और परिवारवालों से मिलाने के इंतजाम कर रहे हैं।

बताया गया है कि इस टीम ने किसान एकता मोर्चा के सोशल मीडिया हैंडल और स्थानीय न्यूज चैनलों के जरिए अपने हेल्पलाइन नंबर का भी प्रचार किया है। हालांकि, बीते कुछ दिनों में प्रदर्शनस्थलों के आसपास इंटरनेट सेवाएं बंद होने की वजह से टीम को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि उन्हें ऑनलाइन एफआईआर हासिल करने में भी परेशानी आ रही है।

आक्रोश को भड़कने से रोकना अमरिंदर सरकार की प्राथमिकता: दूसरी तरफ किसान आंदोलन और लाल किले पर हुई हिंसा से चिंता में पड़ी पंजाब सरकार अब सभी मुद्दों का जल्द से जल्द निपटारा चाहती है। सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार के कुछ अफसर लगातार दिल्ली में जमे हैं और सुलह कराने के लिए केंद्र सरकार और आंदोलनरत किसानों के साथ संपर्क में बने हैं। बताया गया है कि राज्य सरकार लाल किले पर निशान साहिब झंडे के लगाए जाने के बाद से ही चिंता में थी कि कहीं आंदोलन बेकार न हो जाए और किसान खाली हाथ न लौट आएं।

राज्य के एक उच्च अधिकारी ने कहा, “यहां सब जानते हैं कि अगर किसान हफ्तों-महीनों तक चले आंदोलन के बाद खाली हाथ लौटे, तो राज्य में गुस्सा भड़केगा। यह सरकार के खिलाफ आक्रोश का स्थल बनेगा और हम यह नहीं होने दे सकते।” सूत्रों का कहना है कि इसी वजह से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने हाल ही में सर्वदलीय बैठक में ऑपरेशन ब्लू स्टार का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि पाकिस्तान इन स्थितियों का फायदा मुश्किलें पैदा करने में उठा सकता है।

बताया गया है कि पंजाब के अफसरों ने केंद्र को विकल्प दिया है कि वे कृषि कानूनों को प्रस्तावित 18 महीने की जगह तीन साल के लिए होल्ड कर दें। अधिकारियों ने कहा कि पहले किसान नेता नहीं माने थे। पर अब हम केंद्र और किसानों दोनों के साथ काम कर रहे हैं, ताकि आंदोलन जल्द से जल्द खत्म कराए जा सकें। अगर हम कानूनों को 2024 तक टाल सके, तो यह अगले चुनाव तक का समय होगा। तब हम किसानों को पीछे हटने के लिए मना सकेंगे। गणतंत्र दिवस की घटना के बाद हमें जरूरी सीख मिली है। हमें किसी न किसी बात पर तो सहमत होना होगा।