Gauhati High Court To Assam Govt: असम में भैंसों और बुलबुल पक्षियों की लड़ाई के खेल के आयोजन को लेकर राज्य सरकार की ओर बनाई गई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को गौहाटी हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की एसओपी विभिन्न वन्यजीव संरक्षण कानून का उल्लंघन है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, गुवाहाटी हाई कोर्ट ने मंगलवार को असम राज्य में भैंसों की लड़ाई और बुलबुल पक्षी की लड़ाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। जस्टिस देवाशीष बरुआ ने इस बात पर जोर दिया कि पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम की धारा 3 के तहत, पशुओं के प्रभारी व्यक्ति का यह अनिवार्य कर्तव्य है कि वे उनका कल्याण सुनिश्चित करें।

कोर्ट ने कहा कि पीसीए अधिनियम, 1960 की धारा 3 पशुओं की देखभाल करने वाले व्यक्तियों के कर्तव्य से संबंधित है, जो अनिवार्य है। पशुओं को दिए गए अधिकार, कर्तव्य के विपरीत हैं और यदि उन अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है, तो कानूनी मंजूरी के साथ उन अधिकारों को लागू करेगा।इस दौरान कोर्ट दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था – एक भैंसों के अधिकारों से संबंधित और दूसरी बुलबुलों के अधिकारों से संबंधित।

बता दें, 27 दिसंबर, 2023 को असम सरकार ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की थी, जिसमें माघ बिहू त्योहार के दौरान इस तरह की पशु लड़ाई की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों ने पारंपरिक पशु-आधारित प्रथाओं को समायोजित करने के लिए राष्ट्रपति की सहमति से पीसीए अधिनियम में संशोधन किया है, जबकि असम ने ऐसा कोई संशोधन नहीं किया है।

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हाई कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक के विपरीत असम ने 1960 के अधिनियम में कोई संशोधन नहीं किया है, बल्कि इसके बजाय (एसओपी के माध्यम से) 1960 के अधिनियम के साथ-साथ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और ए नागराजा संविधान पीठ के फैसले को दरकिनार करने का प्रयास किया है, जो स्वीकार्य नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 254 के अंतर्गत ऐसा दृष्टिकोण अनुचित है। इसमें कहा गया है कि आप 1960 के अधिनियम में संशोधन करें और राष्ट्रपति की मंजूरी लें, इसके बिना आप अनुच्छेद 254 के मद्देनजर एसओपी के माध्यम से इसे रद्द नहीं कर सकते। आपको सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करना होगा जो देश का कानून है। कोर्ट ने इसके साथ ही एसओपी को रद्द कर दिया और असम राज्य को पीसीए अधिनियम और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

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