कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन में सक्रिय दिखने वाले योगेंद्र यादव ने आज कहा कि जो लोग कह रहे हैं कि मैं अचानक किसान बन गया हूं ? उनको शायद मेरे बारे में पता करने का समय नहीं मिल सका होगा कि मैं पहले भी क्या क्या काम करता आया हूँ। जो कहते हैं मैं किसान नहीं हूं उनको मेरा जवाब यही है कि जैसे किसान राजनाथ सिंह हैं वैसा किसान मैं भी हूं।

योगेंद्र यादव ने कहा कि अब मुझे चुनाव विश्लेषक मत कहिए। वह बहुत पहले की बात हो गई है। जब मैं चुनाव विश्लेषक था तब भी गांव देहात घूमा करता था और आदिवासी इलाकों में जाया करता था। 1985 से लेकर आज तक मैं जन आंदोलन से जुड़ा रहा हूं। इस समय मैं खुद को एक एक्टिविस्ट और देश के नागरिक के रूप में देखता हूँ। नागरिक का काम होना चाहिए कि वह देश के मुद्दों पर बोले।

यादव ने कहा कि हरियाणा में मेरी चार एकड़ जमीन है। किसानों के सबसे बड़े नेता सरदार पटेल भी वकालत किया करते थे। 2015 से मैं लगातार किसानों का काम करता आ रहा हूं। 2015 में भी ट्रैक्टर मार्च किया था। भूमि अधिग्रहण के खिलाफ। जब सूखा पड़ा था तो किसानों के लिए संवेदना यात्रा की थी। बुंदेलखंड और मराठवाड़ा में पद यात्रा की थी।

योगेंद्र यादव ने बताया कि 2017 में जब मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों पर गोली चली थी तब भी वहां पहुंचा था। मेरा खुद का जय किसान आंदोलन संगठन है। किसान मुक्ति यात्राएं की हैं। किसानों को एमएसपी मिले इसके लिए आंदोलन किया। किसानों की संसद बुलाई थी। 2018-19 में भी इन मुद्दों के लिए काम करता रहा हूं। पहले दिन से कृषि कानूनों का विरोध करता आया हूं।

बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वे 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड को लेकर कोई आदेश जारी नहीं करेगा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दिल्ली पुलिस ही फैसला लेगी। सरकार ने भी कहा है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस ही फैसला लेगी।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके द्वारा बनाए गए पैनल के पास निर्णय लेने की ताकत है ही नहीं। बता दें कि कोर्ट ने किसानों और सरकार के बीच गतिरोध को दूर करने के लिए पैनल बनाया है। पैनल को दोबारा बनाए जाने को लेकर दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। मालूम हो कि प्रदर्शनकारी किसानों और विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए पैनल पर सवालिया निशान खड़ा किया है।