क्वंटम के दम पर हम जो कुछ देख पा रहे हैं उसमें यह भी शामिल है कि अब तक कम से कम जगह में समा सकने और आंखों से ओझल हो चुकी चिप की ताकत ‘सिलिकान’ ही रहे हैं। इसका कारोबार करने वाली कंपनियां इतनी बड़ी हैं कि वो अपनी पहचान भी जाहिर नहीं करतीं। सिलिकान में समाई कंप्यूटरी-शताब्दी के सामने ये चुनौती तो पहले ही थी कि बेहिसाब खुदाई की वजह से सिलिकान का खजाना अब कम ही बचा है। जिन देशों ने सिलिकान के कारोबार में अपनी धाक जमा रखी है उनमें चीन की हिस्सेदारी दो तिहाई है। बाकी सब मुकाबले में बहुत पीछे हैं। रूस, नार्वे, ब्राजील और अमेरिका सहित भारत भी इसका खनन और लेनदेन करता है।
अब एक नया मैदान तैयार होगा जहां तैयार क्वांटम कंप्यूटर को इसकी जरूरत ही नहीं होगी। जुदा तकनीक और इस्तेमाल की वजह से दोनों मुकाबले में तो नहीं होंगे लेकिन सिलिकान के कारोबार पर असर जरूर डालेंगे। आज के तेज-तर्रार कंप्यूटर और सुपर कंप्यूटर भी अब ‘क्लासिकल’ कहलाने लगेंगे और ‘क्वांटम डिसरप्टिव’ तकनीक का सबसे अहम पड़ाव। एक हमारी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करता रहेगा तो दूसरा हमारे सामने खड़ी बड़ी से बड़ी चुनौतियों का हल पलक झपकते निकाल देगा। इसका अंदाज भर इससे कर सकते हैं कि किस बीमारी में क्या और कितना कारगर होगा, इसे पता लगाने में अब तक जो तीर-तुक्का चलता आया है और सैंकड़ों या अरबों साल भी जिसे मालूम करने में नाकाफी लग सकते हैं उसे क्वांटम पल भर में सामने रख देगा।
सारी संभावनाओं को एक साथ खंगालने की ताकत वाली क्वांटम तकनीक पैसों के लेखे-जोखे का अता-पता देकर बाजार में पूरे भरोसे के साथ आगे बढ़ने, जीनोम की दुनिया में अपनी दखल से आने वाली पीढ़ियों तक की सेहत का सटीक अंदाज देने और डाटा से हर मसले का हल निकालने सहित समाज, पर्यावरण और कारोबार सहित हर इलाके में अपनी भरपूर दखल रखेगी।