Year Ender 2025: साल 2025 खत्म होने वाला है लेकिन राजनीतिक लिहाज से यह साल काफी अहम रहा। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी केंद्र में गठबंधन की सरकार चला रही है, जिसके चलते विपक्ष आक्रामक था, लेकिन ये आक्रामकता ज्यादा नहीं दिख पाई, क्योंकि एक तरफ 2024 के अंत में पहले हरियाणा और फिर महाराष्ट्र में एनडीए की एकतरफा जीत हुई है, और फिर 2025 में बीजेपी को दो बड़ी सफलताएं मिलीं हैं। एनडीए की ये सफलता विपक्ष के लिए बड़ा झटका बन गई है। इन नेताओं कौन हैं, चलिए बताते हैं।

साल 2025 में देश के दो अहम चुनाव हुए। एक दिल्ली और दूसरा बिहार। दिल्ली में बीजेपी ने लंबे वक्त बाद प्रचंड जीत हासिल करते हुए दिल्ली की सत्ता हासिल कर ली। दूसरी ओर बिहार में एक बार फिर से एनडीए की प्रचंड जीत हुई है। इन दोनों ही चुनाव नतीजों ने साल 2025 में कई नेताओं को झटका दिया है। ये नेता वो हैं, जो कि एक वक्त देश की राजनीति को बदलने का दंभ भर रहे थे लेकिन आज के वक्त ये पूरी तरह से साइडलाइन कर दिया है।

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अरविंद केजरीवाल – आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली में एक बार 49 दिन की सरकार चलाई और फिर 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव पूरी ताकत से जीता और विपक्ष को पूरी तरह खत्म कर दिया था, लेकिन कांग्रेस ने दिल्ली में ताकत दिखाते हुए चुनाव लड़ा तो आम आदमी पार्टी की बुरी हार हुई। इतना ही नहीं, अरविंद केजरीवाल खुद अपनी ही सीट से चुनाव हार गए।

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तेजस्वी यादव- बिहार की राजनीति में 2025 अहम रहा क्योंकि विधानसभा चुनाव में यहां एक बार फिर जनता ने मोदी और नीतीश की जोड़ी पर भरोसा जताया, और राज्य में फिर से एनडीए की सरकार बन गई। 2020 के चुनाव में एनडीए की जीत का मार्जिन काफी कम रहा था। तेजस्वी यादव ने उस चुनाव में पूरी ताकत झोंकी थी। यह कहा गया था कि तेजस्वी 2025 के चुनाव में नीतीश के किले को ध्वस्त कर सकते हैं, लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी का पुराना वाला मोमेंटम दिखा ही नहीं। वहीं तेजस्वी की पार्टी आरजेडी की हालत काफी ज्यादा खराब हो गई, और आरजेडी कांग्रेस का गठबंधन महज 25 सीटों तक में सिमट कर रह गया।

प्रशांत किशोर – बिहार की राजनीति में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नई पार्टी बनाई थी। प्रशांत किशोर ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी। प्रशांत किशोर को मीडिया में भी खूब लाइमलाइट मिली थी लेकिन बिहार के चुनावी नतीजे ये साफ बता रहे हैं, कि राज्य की सियासत में अभी जनता उन्हें सीरियस लेती नहीं दिख रही है।

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प्रशांत किशोर ने पिछले दो तीन साल में बिहार की राजनीति में काफी मेहनत की थी। वे अपनी पदयात्रा के जरिए जमीन पर उतरकर जनता से सीधे संपर्क बनाने की कोशिश करते नजर आ रहे थे लेकिन जब नतीजे आए तो उनकी पार्टी जनसुराज को एक सीट तक नसीब नहीं हुई। इसके अलावा 98 प्रतिशत प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई। इस लिहाज से प्रशांत किशोर के लिए साल 2025 काफी खराब रहा।

तेज प्रताप यादव – पारिवारिक विवाद के चलते आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने अपने बेटे तेज प्रताप यादव को विधानसभा चुनाव से पहले परिवार बाहर कर दिया था। तेज प्रताप यादव ने अपनी पार्टी बनाई थी। उन्होंने कई सीटों पर अपने प्रत्याशी भी उतारे थे। उन्होंने खुद महुआ सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन वो इस चुनाव में कोई खास कमाल न कर सके, और बिहार चुनाव नतीजों ने यह संकेत दे दिए कि तेज प्रताप अब राज्य की राजनीति में अब अप्रासंगिक हो गए हैं।

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