रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर अर्नब गोस्वामी और बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच हुए कथित व्हाट्सएप चैट के लीक होने के बाद कई लोग अलग अलग तरह के सवाल उठा रहे हैं। इसी बीच अटल सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने अर्नब गोस्वामी को सरकार का दल्ला कह दिया। इससे पहले कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों के कई नेताओं ने भी अर्नब और भाजपा सरकार के साँठगाँठ पर सवाल खड़े किए हैं।

दरअसल व्हाट्सएप चैट के लीक होने के बाद से अर्नब की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। इसी को लेकर पूर्व भाजपा नेता और अटल सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने अर्नब गोस्वामी को सरकार का दल्ला कह दिया। साथ ही सिन्हा ने यह भी कहा कि अगर ऐसे मामले किसी अन्य देश में होते तो अब तक उस देश की सरकार भी गिर सकती थी। हालाँकि वायरल चैट के मामले में अर्नब ने एक बयान भी जारी किया है। 

अर्नब और भाजपा सरकार के गठजोड़ पर सवाल उठाने वाले यशवंत सिन्हा अकेले नहीं हैं। सिन्हा के अलावा कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी दो दिन पहले ट्वीट करके कहा था कि अगर मीडिया के एक धड़े की रिपोर्टिंग सही है तो सवाल यह है कि बालाकोट स्ट्राइक और 2019 के आम चुनाव के बीच कोई संबंध है? क्या चुनाव में फायदे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को मुद्दा बनाया गया। इसकी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच होनी चाहिए।

वहीँ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी ट्विटर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को टैग करते हुए पूछा था कि क्या असल स्ट्राइक से तीन दिन पहले एक पत्रकार (और उसके दोस्त) को बालाकोट शिविर में जवाबी हमले के बारे में पता था? यदि हाँ, तो इस बात की क्या गारंटी है कि उनके स्रोतों ने पाकिस्तान के साथ काम करने वाले जासूसों या मुखबिरों सहित अन्य लोगों के साथ भी जानकारी साझा नहीं की होगी? राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय निर्णय की जानकारी सरकार-समर्थक पत्रकार को कैसे मिली?

टीआरपी रेटिंग्स से छेड़छाड़ के एक मामले में मुंबई पुलिस ने पिछले साल 8 अक्टूबर को केस दर्ज किया था। इस मामले में अर्नब गोस्वामी को भी आरोपी बनाया गया था। इस मामले में मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्नब गोस्वामी के ख़िलाफ़ एक चार्जशीट भी दायर की है। चार्जशीट में ही पार्थो दासगुप्ता और अर्नब के बीच हुई व्हाट्सएप चैट को शामिल किया गया है।