कांग्रेस पार्टी के गिरते ग्राफ को ऊपर चढ़ाने के लिए लाए गए चुनाव प्रचार प्रबंधक प्रशांत किशोर का असली काम वहीं से शुरू होगा, जहां पार्टी रसातल में हैं। उत्तर प्रदेश में चुनाव होने में साल भर से भी कम का वक्त बचा है। ऐसे समय में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सामने चुनौती है कि वह 2019 के आम चुनावों से पहले होने वाली सबसे बड़ी परीक्षा के लिए खोई हुई जमीन हासिल करें। उत्तर प्रदेश में करीब 20 करोड़ लोग रहते हैं, इस लिहाज से यूपी और पंजाब के नतीजे काफी हद तक ये तय करेंगे कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। 2014 में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 71 लोकसभा सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस के लिए सिर्फ सोनिया और राहुल गांधी ही अपनी-अपनी सीट बचा पाए थे।
उत्तर प्रदेश की लड़ाई में कांग्रेस को मजबूती से खड़ा करने के लिए राहुल गांधी ने प्रशांत किशोर से कांग्रेस की रणनीति बनाने में मदद मांगी है। प्रशांत वही शख्स हैं जिन्होंने मॉडर्न तकनीक के इस्तेमाल से मोदी को नई दिल्ली पहुंचा दिया। किशोर अब उन्हीं तरीकों से काम करना चाहते हैं, जैसे मोदी और बीजेपी करती है। 38 साल के प्रशांत के पास रिसर्चर्स की एक टीम है जो जनगणना के डाटा को एनालाइज कर हर सीट पर उन्हें वोट में तब्दील करती है।
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किशोर के करीबी सूत्रों के मुताबिक, वह कभी भी, कहीं भी राहुल गांधी से मिल सकते हैं, बात कर सकते हैं। हालांकि वो उनके रोजमर्रा के दौरे तय नहीं करते। कि शोर पार्टी को संरक्षण के सिस्टम से बाहर निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह जमीन से जुड़े नए चेहरे लाने को तैयार हैं चाहे इससे कांग्रेस के पुराने नेताओं को दिक्कत ही क्यों ना हो।
किशोर कांग्रेस को देश की इकलौती समोवशी राष्ट्रीय पार्टी बनाना चाहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि किशोर उत्तर प्रदेश में प्रचार की कमान संभालने के लिए एक नया चेहरा लॉन्च करना चाहते हैं, जो कि राहुल, प्रियंका गांधी या कोई भी हो सकता है। लेकिन किशोर और कांग्रेस के नेता इसपर बात करने से इनकार करते हैं।
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एक ओर जहां किशोर पर्दे के पीछे रहकर काम करेंगे, वहीं राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर मोदी से लोहा लेने की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस के भरोसेमंद लोगों का कहना है 2015 की शुरुआत में अज्ञात जगह से लौटने के बाद राहुल गांधी बदले-बदले से नजर आ रहे हैं।
कुछ महीनों पहले किशोर के राहुल की टीम में शामिल होने के बाद, राहुल में एक अलग तरह की तेजी देखने को मिल रही है। चाहे वो बैरिकेडिंग पर छात्रों के प्रदर्शन में शामिल होना या सूखा पीड़ित किसानों के साथ हमदर्दी जताना।, किशोर राहुल गांधी को हर मामले में सलाह दे रहे हैं।