भारत में अधिकतर राजनीतिक दल अगले साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए अभी से कमर कस रहे हैं। इनमें ज्यादातर राज्यों में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार है। ऐसे में चुनाव से पहले ही विपक्ष कोरोना और बेरोजगारी से लेकर किसान आंदोलन तक को मुद्दा बनाते हुए सत्तासीन दल को घेरने में जुटा है। हालांकि, आलम यह है कि चुनावी राज्यों में तो पार्टी एकजुट दिख रही है, पर कुछ अन्य राज्यों में भाजपा को अंदरुनी कलह का सामना करना पड़ रहा है, जिसका असर पार्टी की आगामी तैयारियों पर भी पड़ने की संभावना जताई जा रही है।
भाजपा में यह अंदरुनी कलह महाराष्ट्र से लेकर पश्चिम बंगाल तक पड़ गई है। बताया गया है कि बंगाल भाजपा में नेताओं के बीच आपस में ही ठनी है। इसके चलते हाल ही में बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष अपना दुखड़ा रोने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। जानकारी के मुताबिक, दिलीप घोष ने केंद्रीय नेतृत्व से साफ कहा है कि वह बाहरी दलों से आए नेताओं को जल्दी कोई बड़ा पद न दे। माना जा रहा है कि घोष का सीधा निशाना तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आए सुवेंदु अधिकारी पर है, जिन्हें लेकर भाजपा कार्यकर्ता पहले ही काफी बंटे हुए हैं।
हालांकि, पार्टी की बंगाल में मुश्किल सिर्फ यहां तक ही सीमित नहीं है। दरअसल, टीएमसी से आए राजीव बनर्जी के सुर नतीजे आने के बाद से ही बदले हैं। वहीं, केंद्रीय मंत्रीमंडल से हटाए गए भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो सोशल मीडिया पर कई बार अपना दर्द बयां कर चुके हैं। इसके अलावा विष्णुपुर से सांसद सौमित्र खान ने सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बंगाल BJYM के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा तो नेतृत्व के दखल के बाद वापस हो गया, लेकिन पार्टी में कलह का खुलासा हो गया।
इतना ही नहीं भाजपा इस वक्त पंजाब में भी परेशानी का सामना कर रही है। नए कृषि कानूनों को लेकर नेताओं में खटपट बढ़ती जा रही है। बता दें कि आंदोलनकारी किसानों ने पहले ही भाजपा का बॉयकॉट कर दिया। इसे लेकर ज्यादातर नेता चिंता में हैं। कई नेताओं ने खुद को पार्टी लाइन से दूर रखते हुए कृषि कानून के खिलाफ बोलना भी शुरू कर दिया है, वहीं कुछ और नेता दूसरी पार्टियों में अपनी संभावनाएं देख रहे हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी को तो कृषि कानून के खिलाफ बयान देने के लिए पार्टी ने छह साल के लिए सस्पेंड तक कर दिया था। पार्टी के अंदर की इस पूरी खटपट को लेकर पिछले साल ही भाजपा छोड़ कर आप में शामिल होने वाले मलविंदर सिंह का कहना है कि भाजपा को चुनावों में इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी।
उधर कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी भाजपा अंदरुनी तौर पर विरोध का सामना कर रही है। कर्नाटक में तो मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को सरकार में मंत्रियों और विधायक-सांसदों ने ही निशाना बनाना जारी रखा है। हाल ही में एक भाजपा विधायक ने येदियुरप्पा सरकार पर अपना फोन टैप कराने का आरोप लगाया था, जबकि इससे पहले सरकार में मंत्री सीपी योगेश्वर और रमेश जरकीहोली अलग-अलग मुद्दों को लेकर सीधे तौर पर अपनी सरकार के खिलाफ बयान दे चुके हैं।
इसके अलावा भाजपा में विरोध के ताजा स्वर महाराष्ट्र में उठे हैं। दरअसल, यहां दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी और ओबीसी नेतृत्व का एक दमदार चेहरा कही जाने वाली पंकजा मुंडे ने इशारों में पार्टी के खिलाफ आवाज उठाई है। एक दिन पहले ही उन्होंने भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले अपने समर्थकों को समझाया और उन्हें सही समय आने का इंतजार करने के लिए कहा। माना जा रहा है कि इसी बहाने पंकजा ने भाजपा आलाकमान को अल्टीमेटम दे डाला। दरअसल, पंकजा मुंडे हाल ही में मोदी कैबिनेट में अपनी बहन प्रीतम मुंडे को जगह न दिए जाने को लेकर नाराज बताई जा रही हैं। ऐसे में उनके समर्थक पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने में लग गए हैं।