PM Modi To Visit Mahakumbh Today: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज प्रयागराज आ रहे हैं। उनके संगम स्नान का महत्व अति महत्वपूर्ण है। आध्यात्मिक महत्व यह है कि वह माघ की अष्टमी को पुण्य काल में त्रिवेणी में स्नान करेंगे। उसी समय दिल्ली विधानसभा चुनाव और अयोध्या के मिल्कीपुर में उपचुनाव के लिए मतदान का राजनीतिक मुहूर्त भी चल रहा होगा। बता दें, पीएम मोदी ऐसे वक्त प्रयागराज आ रहे हैं जब महाकुंभ में मची भगदड़ को लेकर संसद से लेकर सड़क तक राजनीति गरमाई हुई है।

केजरीवाल की महाकुंभ से दूरी

कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संगम में डुबकी से बीजेपी को आशीर्वाद मिल सकता है, जो दिल्ली से अयोध्या तक पार्टी के हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को काफी कुछ अभिसिंचित कर सकती हैं, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की संगम से दूरी के भी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।

वहीं भाजपा के लिए महाकुंभ का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि जातिगत जनगणना को लेकर मुखर कांग्रेस, सपा और राजद जैसे दल अनुसूचित जाति और ओबीसी वोट खींचना चाहते हैं। भगवा खेमा हिंदुओं को सनातन की डोर से इस तरह बांध देना चाहता है कि उनके बीच जाति का कोई भेद ही उभर न पाए।

वहीं पीएम मोदी महाकुंभ को एकता के महाकुंभ बता चुके हैं। इसके महत्व को राजनीतिक फलक पर प्रकाशमय बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों सहित संगम में डुबकी लगाई औऱ कैबिनेट बैठक भी की। भाजपा शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक लगातार यहां आए।

LIVE: मनीष सिसोदिया और प्रवेश वर्मा ने की विशेष पूजा, संदीप दीक्षित और अलका लांबा ने डाला वोट

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी संगम में पवित्र डुबकी लगा चुके हैं। वहीं दिल्ली और मिल्कीपुर में मतदान जारी है। ऐसे में पीएम मोदी सुबह 10.05 बजे प्रयागराज पहुंचेंगे और 12.30 बजे यहां से प्रस्थान करेंगे। वह त्रिवेणी में डुबकी लगाने के बाद 13 अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वरों सहित कुल 26 संतों के साथ गंगा आरती करेंगे।

विपक्ष ने साधा निशाना

विपक्ष ने अपना समीकरण साधने की कोशिश की है। राहुल और प्रियंका के भी महाकुंभ आने की चर्चा थी, लेकिन अब तक न आने के पीछे दिल्ली चुनाव भी कारण हो सकता है। भाजपा का अपना मतदाता वर्ग है, जबकि आप और कांग्रेस के बीच मुस्लिम मतों की हिस्सेदारी को लेकर भी संघर्ष है।

महाकुंभ से दूरी बनाकर शायद उस वर्ग को संदेश देने का कोशिश है। वहीं, मिल्कीपुर की परिस्थिति अलग है। सपा यदि लोकसभा चुनाव में अयोध्या और विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर जीती तो दलित वोट के कारण। चूंकि, इस सीट पर मुस्लिम मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं, इसलिए महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर लगतार प्रहार कर अखिलेश ने एक पाले को साधने की कोशिश की है।

यह भी पढ़ें-

दिल्ली में AAP के खिलाफ अंतिम दौड़ में BJP की सफलता और असफलता पर एक नजर, समझिए पूरी थ्योरी

‘अगर उन्हें सच में विदेश नीति में रूचि है तो एक किताब जरूर पढ़ें…’, जानें लोकसभा में पीएम मोदी ने राहुल गांधी को क्या दी सलाह