लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर यूपी में अभी से सरगर्मियां तेज हैं। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी वेस्ट में 2014 की तुलना में नुकसान हुआ था। आगामी चुनाव के लिए तमाम पार्टियों और दिग्गजों ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। MoS संजीव बालयान ने भी 2024 के लिए अपनी तैयारियों को धार देने की शुरुआत कर दी है। हाल ही में उनके द्वारा यूपी वेस्ट को राज्य और मेरठ को प्रदेश की राजधानी बनाने संबंधी बयान को इसी नजरिये से देखा जा रहा है।

संजीव बालयान द्वारा यह बयान बीते रविवार इंटरनेशनल जाट पार्लियामेंट में दिया गया। उन्होंने कहा कि यूपी वेस्ट की जनसंख्या 8 करोड़ से ज्यादा है। यहा देश का बेस्ट और सबसे संपन्न राज्य होगा। हालांकि उनके बयान के कुछ ही घंटों बाद यूपी वेस्ट के ही बीजेपी नेता और सरधना के पूर्व विधायक संगीत सोम ने इसे रिजेक्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि यूपी वेस्ट को राज्य बनाने के मतलब ‘मिनी पाकिस्तान’ बनाना है।

संगीत सोम ने कहा कि एक समुदाय विशेष की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने दावा कि इस समुदाय की जनसंख्या कई नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में करीब 80 फीसदी है। उन्होंने मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि क्या आप चाहते हैं कि हिंदू यहां पर अल्पसंख्यक बन जाएं? उन्होंने दावा किया कि यूपी वेस्ट में कोई नहीं चाहता कि इस इलाके को अलग राज्य बनाया जाए।

जाटों को रिझाने का प्रयास कर रहे थे संजीव बालयान?

संजीव बालयान संगीत सोम के बयान पर प्रतिक्रिया देने के लिए उपलब्ध नहीं थे लेकिन यूपी वेस्ट के कई बीजेपी नेताओं ने MoS की मांग को 2024 से पहले जाट मतदाताओं को रिझाने का प्रयास बताते हुए रिजेक्ट कर दिया। यूपी वेस्ट के एक बीजेपी नेता ने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बालयान को बहुत छोटे 6526 वोटों के अंतर से जीत मिली थी। इस चुनाव में उन्होंने अजीत सिंह को हराया था। अजीत सिंह की पार्टी RLD का सपा और बसपा से गठबंधन था। सपा और रालोद गठबंधन ने यूपी वेस्ट में 2022 में दमदार प्रदर्शन किया था। इसके बाद खतौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। यह दर्शाता है कि बालयान को जाट मतदाताओं के बीच काम करने की जरूरत है।

लोकल चुनावों में बीजेपी का खराब प्रदर्शन

बीजेपी के इस नेता ने कहा कि इस साल की शुरुआत में हुए अर्बन लोकल बॉडी इलेक्शन में बीजेपी और रालोद ने एक-एक नगर पालिका परिषद चेयरमैन का चुनाव जीता। नगर पंचायत चेयरमैन के चुनाव में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी जबकि निर्दलीयों को 5 और सपा, रालोद और आप ने एक-एक सीट जीती थी। बीजेपी के एक अन्य यूपी वेस्ट के नेता ने कहा कि बालयान के बयान पर लोगों ने सकारात्मक रिस्पांस नहीं दिया है। लंबे समय से कोई भी अलग राज्य की मांग नहीं कर रहा है। जाट और मुसलमान मतदाता 2024 में बड़ा रोल निभाएंगे।

यूपी वेस्ट में 18 जिले

आपको बता दें कि यूपी वेस्ट में 18 जिले आते हैं। इनमें बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बिजनौर, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, आगरा और मुरादाबाद शामिल हैं जहां जाटों की अच्छी संख्या है। रामपुर, अमरोहा, सहारनपुर और गौतमबुद्धनगर में जाट मतदाताओं का ज्यादा प्रभाव नहीं है। जाट वोटर यूपी वेस्ट की एक दर्ज लोकसभा सीटों और करीब 40 विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालते हैं। 17 जिलों में उनकी आबादी 10 से 15 फीसदी के बीच है लेकिन वे राजनीतिक माहौल बनाने की क्षमता के साथ-साथ मुखर और सामाजिक रूप से प्रभावशाली भी हैं।

2019 में बीजेपी जीती यूपी वेस्ट में 12 सीटें

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी वेस्ट की 19 लोकसभा सीटों में से 12 पर जीत मिली थी। अन्य 7 सीटों में से चार पर बसपा और 3 पर सपा के प्रत्याशी जीते थे। बाद में रामपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी। यूपी वेस्ट में राज्य की कुल 403 सीटों में से 95 सीटें आती हैं। 2017 में सपा-कांग्रेस का गठबंधन होने के बाद भी अखिलेश को यहां 15 और राहुल गांधी की पार्टी को सिर्फ 2 सीटें नसीब हुई थीं। बीजेपी तब यहां पर 74 सीटें जीतने में सफल रही थी। बीएसपी को यहां 3 और रालोद को एक सीट मिली थी। तब जाट मतदाताओं ने खुलकर बीजेपी के पक्ष में वोट किया था।

पिछले साल की शुरुआत में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में सपा का रालोद से गठबंधन था। इस गठबंधन का असर जमीन पर देखने को मिला। सपा को 24 और रालोद को 8 सीटें मिलीं। बीजेपी को यहां 2017 के मुकाबले 11 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा। बसपा यूपी वेस्ट में खाला खोलने में भी विफल रही। विधानसभा उपचुनाव में जहां रालोद ने खतौली सीट बीजेपी से जीत ली जबकि सुआर में बीजेपी की सहयोगी अपना दल (एस) ने जीत दर्ज की।

रालोद लंबे समय से उठा रही यूपी वेस्ट को अलग राज्य बनाने की मांग

रालोद के नेशनल जनरल सेक्रेटरी त्रिलोक त्यागी ने बताया कि अजित सिंह ने करीब 20 सालों तक यूपी वेस्ट को राज्य बनाने के लिए मुहिम चलाई। यूपी वेस्ट को अलग राज्य बनाने की रालोद की पुरानी मांग है लेकिन अब बीजेपी के मंत्री संजीव बालयान जाट वोटों के लिए ड्रामा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी को जयंत चौधरी के नेतृत्व में रालोद के बढ़ते प्रभाव में अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है। त्रिलोक त्यागी ने आगे कहा कि अगर संजीव बालयान सच में इसके बारे में चिंतित हैं तो उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में लोकसभा में यह मांग उठानी चाहिए और इसे पारित कराना चाहिए।

बीएसपी यूपी को चार हिस्सों में विभाजित करना चाहती थीं

आपको बता दें कि साल 2012 में विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी की मायावती सरकार नवंबर 2011 में एक प्रस्ताव लायी थी, जिसमें यूपी को चार राज्यों- पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश, बुंदेलखंड और अवध प्रदेश में विभाजित करना था। यह प्रस्ताव विधानसभा में पारित भी हो गया था। इसके बाद मायावती ने कहा था कि यह प्रस्ताव केंद्र को बढ़ाया जाएगा।