वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संसद की संयुक्त समिति (JPC) की बैठकें पिछले कुछ दिनों से चर्चा का विषय बनी हुई हैं। कभी बैठक के दौरान गरमागरम बहस की खबरें सामने आती हैं तो कभी सदस्यों के वॉकआउट पर चर्चा होती है। इस दौरान बैठक में कांच की बोतल के फूटने तक की नौबत सामने आने पर काफी बातें हुई थीं। लेकिन ऐसा हो क्यों रहा है? एक तरफ जेपीसी में मौजूद विपक्षी दलों से आने वाले सदस्यों का कहना है कि बैठक में नियमों का उल्लंघन हो रहा है। वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने विपक्ष की ओर से कठिन सवालों का सामना करने से बचने के लिए जानबूझकर व्यवधान डालने का आरोप लगाया है।
क्या है पूरा मामला?
जेपीसी की कुछ बैठकों से वॉकआउट करने वाले शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद सावंत ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “जो लोग स्टेकहोल्डर्स नहीं हैं, उन्हें बयान देने के लिए बुलाया जा रहा है। इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आपकी मंशा सही नहीं है। इससे पता चलता है कि आपको न्याय करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।”
एक विपक्षी सांसद ने यह भी आरोप लगाया कि वक्फ मुद्दे पर भाजपा और सरकार के एजेंडे के अनुकूल लोगों को बयान देने के लिए अधिक समय दिया जा रहा है।
ऐसा माना जा रहा है कि गोवा स्थित संगठनों जैसे सनातन संस्था और हिंदू जनजागृति समिति को निमंत्रण दिए जाने से विपक्षी सांसदों में नाराजगी है। इन दोनों संगठनों को अतीत में नरेंद्र दाभोलकर (2013), गोविंद पानसरे (2015) और एम एम कलबुर्गी (2015) की हत्याओं के मद्देनजर कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जांच का सामना करना पड़ा है। जबकि इन संगठनों ने आतंकी गतिविधियों से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है। संसदीय पैनल ने नासिक के कालाराम मंदिर और आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार के मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से भी बयान लिए हैं।
14 अक्टूबर को कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग के एक पूर्व पदाधिकारी द्वारा वक्फ भूमि के आवंटन के संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर टिप्पणी करने के बाद सांसद अरविंद सावंत और अन्य विपक्षी सांसदों ने बैठक से वॉकआउट कर दिया। विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व पदाधिकारी भाजपा नेता थे। सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि बैठक को नियम अनुसार चलाया जाना चाहिए। अगर इनका पालन नहीं किया गया, तो हम बहिष्कार करेंगे।”
वादे उतने ही करो जितने पूरे कर सको… मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्यों कर दी कर्नाटक सरकार की खिंचाई?
लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मोहम्मद जावेद ने इससे पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि बैठक में “ऐसे धार्मिक संगठनों को आमंत्रित किया जा रहा है जो मुस्लिम समुदाय से संबंधित नहीं हैं और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए क्योंकि अन्य धार्मिक समुदायों से संबंधित मामलों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व नहीं मांगा जाता है।
